गीत गीता समाज को आध्यात्म से जोड़ने का महत्वपूर्ण माध्यम बनेगी*- डॉ कुसमरिया
मनीष झा की जिजीविषा कवि कुल में सार्थक स्वीकृति - डॉ सीरोठिया
दार्शनिक उत्कर्ष की अभिनव लोक भूमि है गीता - डॉ.आशुतोष
दृष्टि वह कला है जो अदृश्य को देख सकती है - शांभवी
गीता विमर्श में ग्रंथ गीत-गीता का हुआ लोकार्पण
सागर। नगर के सुप्रसिद्ध कवि और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.मनीष झा द्वारा भारतीय ज्ञानपीठ दिल्ली से प्रकाशित गीता के दोहों और चौपाइयों पर गीत गीता ग्रंथ में किए गए काव्यानुवाद पर श्यामलम् संस्था द्वारा देव वृंदावनबाग मठ गोपालगंज में गीता विमर्श का भावपूर्ण आयोजन श्यामलम् द्वारा किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष पूर्व मंत्री व सांसद डॉ रामकृष्ण कुसमरिया ने कहा कि गीत गीता ग्रंथ समाज को आध्यात्म से जोड़ने का महत्वपूर्ण माध्यम बनेगा। गीता हमें जीवन जीने का ज्ञान देती है। डॉ. झा शारीरिक पीड़ा के साथ मन की पीड़ा का हरण करने का कार्य भी बखूबी कर रहे हैं। डॉ झा ने इस ज्ञान का सरल भाषा में सृजन कर परोपकार का कार्य किया है। उन्होंने भगवद्गीता को रामायण बना दिया।
सारस्वत् अतिथि गीतऋषि डॉ श्याम मनोहर सीरोठिया ने कहा कि किसी भी ग्रंथ का काव्यानुवाद परकाया प्रवेश करने जैसा कठिन कार्य है। इसमें आदर्श की स्निग्धता, के साथ आत्मपरक कथ्य कि सुगमता भी है। डॉ मनीष झा की जिजीविषा उन्हें कवि कुल में सार्थक स्वीकृति दिलाएगी।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.आशुतोष ने अपने प्रभावी वक्तव्य में कहा गीत गीता अपनी वैचारिक और भावनात्मक अभिव्यँजना में गीता के दार्शनिक उत्कर्ष की अभिनव लोक भूमि की तरह है। मनीष झा ने अपनी विलक्षण काव्यानुवाद के माध्यम से गीता जैसे महान ग्रंथ को जन सामान्य की भाषा में निर्दोष ढंग से पुनर्सृजित किया है।
सुविख्यात कथक नृत्यांगना एवं कला लेखिका विदुषी डॉ शाम्भवी शुक्ला मिश्रा ने अपने विद्वतापूर्ण और ओजमय वक्तव्य में भारतीय ज्ञान परम्परा में प्रस्थानत्रयी के अंतर्गत गीता व उसके ऊपर किए गए विविध भाष्य व टीकाओं का उल्लेख करते हुए गीतगीता में प्रयुक्त भाषा शैली एवं उसमें प्रयुक्त विभिन्न शब्द व अर्थालंकारों की सम्यक, शोधपरक विवेचना प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि दृष्टि वह कला है जो अदृश्य को देख सकती है।
कार्यक्रम में आमंत्रित अतिथि शैलेश केशरवानी पार्षद ने आयोजक संस्था श्यामलम् के साहित्यिक सांस्कृतिक प्रयासों की प्रशंसा करते हुए विविध आयोजनों के लिए अपना सभागार निःशुल्क उपलब्ध कराने की घोषणा की।
कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के पूजन-अर्चन एवं कवि मुकेश तिवारी द्वारा की गई मधुर सरस्वती वंदना से हुआ। श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने कार्यक्रम परिचय देते हुए वृंदावन मठ के महंत श्री नरहरिदास महाराज द्वारा आध्यात्मिक आयोजन हेतु अनुकूल स्थान उपलब्ध कराने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। गीत गीता के अनुवादक डॉ.मनीष झा ने ग्रंथ लेखन पर प्रकाश डालते हुए स्वागत भाषण दिया। मंचासीन अतिथियों ने ग्रंथ गीत गीता के द्वितीय संस्करण को लोकार्पित किया। डॉ चंचला दवे, आर के तिवारी,टी आर त्रिपाठी, कपिल बैसाखिया, हरी शुक्ला, कुंदन पाराशर, डॉ आराधना झा,मनोज तिवारी, संतोष पाठक,वर्षा तिवारी ने अतिथि स्वागत किया। कार्यक्रम का व्यवस्थित और प्रभावी संचालन डॉ अंजना चतुर्वेदी तिवारी ने किया तथा श्यामलम् संस्था के कार्यकारिणी सदस्य रमाकांत शास्त्री ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर कृति अनुवादक डॉ मनीष झा एवं दिल्ली से पधारे सागर विश्वविद्यालय में पदस्थ रहे सहा. प्राध्यापक डॉ आशुतोष की पदस्थी दिल्ली विश्वविद्यालय में हो जाने पर उनका अभिनंदन नगर की प्रमुख साहित्यिक सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा पुष्पहार,शाल, श्रीफल एवं सम्मान पत्र भेटकर किया गया।
कृति लेखक डॉ. झा ने अतिथियों को शाल ओढ़ाकर,श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
इस अनोखे और अविस्मरणीय बौद्धिक आयोजन में नगर के प्रबुद्ध जनों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही जिनमें डॉ गजाधर सागर, शिवरतन यादव,डॉ दिनेश अत्री, रमेश दुबे, डॉ बृजेश मिश्रा दिल्ली,रवींद्र सिलाकारी संपादक, वरिष्ठ पत्रकार सूर्यकांत पाठक, डॉ दीपक श्रीवास्तव,राजेंद्र दुबे कलाकार,आरके तिवारी, पी आर मलैया, अंबिका यादव, डॉ नलिन जैन, डॉ आर आर पांडे ,डॉ आशीष द्विवेदी,डॉ नौनिहाल गौतम, हरि सिंह ठाकुर, देवीसिंह राजपूत, डॉ विनोद तिवारी, डॉ नवनीत धगट, दामोदर अग्निहोत्री, पूरन सिंह राजपूत, बीडी पाठक, पी एन मिश्रा, आरसी चौकसे, डॉ भुवनेश्वर तिवारी, श्रवण श्रीवास्तव, के के बख्शी, डॉ सुरेंद्र सिंह, बिहारी सागर, काशीराम प्रजापति, पुष्पेंद्र दुबे, एम के खरे, श्रीराम शास्त्री, पैट्रिक फुसकेले, जगदीश गौर, अशोक तिवारी अलख, सिद्धार्थ शुक्ला, डॉ कविता शुक्ला,सुनीला सराफ, संध्या सर्वटे, उषा पाराशर, रेखा बख्शी, सुधा कौशल, ममता भूरिया आदि के नाम प्रमुख हैं।
डॉ चंचला दवे,सागर