ad

काव्य : हरा आतंकवाद - डाॅ. सुधा कुमारी नई दिल्ली


 काव्य :  

हरा आतंकवाद


मनुष्य मात्र का नाश नहीं

पर्यावरण का विनाश भी 

है आतंकवाद 

जीवन का संकट

धरा बन रही मरघट।


हरियाली को काटकर 

बंदर सा बांटकर 

उठाते हैं ठेके पर।


कंक्रीट-पत्थर चुनकर 

प्लास्टिक से भरती 

गगनचुंबी इमारतें।


पर्वतों को छेदकर 

बिछती सुरंगें

सागर की आंतों में

दौड़ते जहरीले यान।


सूर्य का ताप कम पड़ा

जो नभ को जलाया भट्ठी-सा

कभी अग्नि वर्षक शस्त्र 

कभी राकेट के ज्वाल से?


कबतक चलेगा 

प्रकृति का नाश

हरा आतंकवाद 

इसे समूल मिटाना 

अर्थात 

धरती को सुखमय बनाना।


-डाॅ. सुधा कुमारी

नई दिल्ली

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

Post a Comment

Previous Post Next Post