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काव्य : मां से दिल की बात - अमन कुमार,सागर


 काव्य : 

मां से दिल की बात 


मां मैं मजबूर हूं , इसलिए तुमसे दूर हूं ,

तुम्हारी याद बहुत आती है,

मन  को व्याकुल कर जाती है ।

कभी –कभी लगता है ,अगर मैं पंछी होता 

तो फौरन उड़कर चला आता ,

कभी लगता अगर हवा होता,

 तो बहकर चला आता ।

कभी आपकी हाथ की बनी रोटी याद आ जाती ,

तो कभी गुड  डालकर मीठा बना गाजर का हलवा ,

कभी मन बैचेन होकर रह जाता ,

कभी एक दीदार को आंखें हर पल तरसती  है ,

ऐसा लगता काश मेरा बचपन फिर लौट आता ,

और फिर से  मां से प्यारी लोरी फिर सुन पाता ।

मां कभी तुम्हारी सुबह –सुबह, उठाने वाले मीठे स्वर ,

तो कभी बड़े प्यार से बालो को सहलाना याद आ जाता,

अब ऐसा लगता जैसे  घर  पराया हो गया हो,

न तुम अब डांटती हो और न ही कुछ कहती  हो ,

मां तुम्हारे  डांट में ही  प्यार झलकते है, 

मुझे पता है मां  मेरे  याद में हर समय ,

तुम भी मेरे से दूर होने का दर्द सहती होगी ,

तुम्हारी आँखे भी मेरी तरह ही ,

आंसुओं से नम रहती होंगी ।

                                

अमन कुमार 

 ( डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर, मध्यप्रदेश)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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