ad

पुस्तक समीक्षा : सभ्य कुत्ता - डॉ. रवींद्र कुमार सोहोनी ,समीक्षक


पुस्तक समीक्षा : सभ्य कुत्ता

(लघु कथाएं एवं लघु कहानियां)

लेखक - श्री रमेश मनोहरा

      मालवांचल में रतलाम जिले के जावरा निवासी एवं क्षेत्र के वरिष्ठ साहित्यकार रमेश मनोहरा का सद्य प्रकाशित लघु कथा एवं लघु कहानियां संग्रह जिसका विमोचन फ़रवरी माह के अन्तिम सप्ताह में स्वनामधन्य कवि, लेखक, चिंतक, और प्रखर वक्ता प्रो. अजहर हाशमी के कर कमलों से हुआ है। संग्रह में चौबीस लघु कथाएं तथा सत्रह लघु कहानियों को लेखक ने समेटा है। संग्रह का शीर्षक सभ्य कुत्ता पहली लघु कथा से ही लिया गया है।

 सम्भ्रांत और बुर्ज़ुआ वर्ग के बंगलों में पल रहे विदेशी प्रजाति के कुत्ते और सड़कों पर विचरण कर रहे देशी आवारा कुत्तों के मध्य संवाद के माध्यम से लेखक ने सामाजिक विसंगतियों और विद्रूपताओं को बड़ी कुशलता से उकेरा है, इसमें तनिक भी सन्देह नहीं है। लघु कथा टाट के पर्दे के उस पार में झुग्गी झोपड़ियों तथा गन्दी बस्तियों में रहने वाले वर्ग की घनीभूत पीड़ा और विवशताओं पर ऊंगली रखने का अच्छा प्रयास लेखक ने किया है। धंधा और ओवर लोड पुलिस प्रशासन पर चोट करती लघु कथाएं है। एक जैसी व्यथा, निठल्ला, सहमति, दोनों के बीच जैसी लघु कथाओं की विषय वस्तु सेवा निवृत्त व्यक्तियों और साहित्य सृजन कर रहे पात्रों के इर्द गिर्द बुनी गई है, लेकिन यह भी स्वीकारना होगा कि इन कथाओं में प्लाट की पुनरावृत्ति हुई है जो पाठक को खलती हैं।

गरम तवा और शब्द वापस लेती हूं जैसी लघु कथाएं काफ़ी बोल्ड तथा वयस्क पाठकों को ध्यान में रखते हुए लिखी तथा संग्रहित की गई प्रतीत होती है। आरक्षण, विरोध, स्पीड ब्रेकर, एक कमरा जैसी लघु कथाएं मध्यम वर्ग के सामाजिक आर्थिक परिवेश को व्याख्यायित करने में काफ़ी सीमा तक सफ़ल है।

एक सुधि पाठक और संग्रह के समीक्षक के नाते लघु कथाओं में जो नश्तर चुभोता पैना पन होना चाहिए का अभाव दिखलाई पड़ता है।

संग्रह के दूसरे भाग में लघु कहानियों को स्थान दिया गया है। इस भाग की पहली लघु कहानी एक और सुदामा साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय लोगों के खस्ता हाल के प्लाट पर बुनी गई कहानी है। असमंजस, कमाऊं बहू मध्यम वर्ग की नब्ज टटोलती कहानियां है। संग्रह की एक अन्य कहानी उल्टी धारा सांप्रदायिक सद्भाव को रेखांकित करती है। कुलटा तथा इन्तज़ार नहीं कर सकती अपेक्षाकृत बोल्ड कहानियां हैं। संग्रह की कहानियां कुंडली, तलाक तथा अन्यान्य कहानियां मध्यम वर्ग के रोजमर्रा की ज़िन्दगी से जुड़ी हुई है।

लेखक रमेश मनोहरा लेखन के क्षेत्र में सत्तर के दशक से सक्रिय हैं। आधा दर्जन से ज्यादा कविता संग्रह और इतने ही कहानी संकलन उनके अब तक प्रकाशित हो चुके हैं।आकाशवाणी इन्दौर से कई नाटकों का प्रसारण भी हो चुका है। लेखक को मध्य प्रदेश लघु कथाकार परिषद्, जबलपुर से सरस्वती पुत्र सम्मान, साहित्य कला संस्कृति संस्थान हल्दी घाटी द्वारा पारस दासोत सम्मान, जैमिनी अकादमी पानीपत द्वारा रामवृक्ष बैनपुरी जन्म शताब्दी सम्मान से भी नवाज़ा जा चुका है। 

संग्रह की तीन कहानियां पूर्व में हिन्दी दिल्ली प्रेस की पत्रिका सरस सलिल में प्रकाशित हो चुकी है। 

जहां तक कथ्य, भाषा, शैली और प्रवाह का प्रश्न है वह सहज सरल है और अलंकारिक भाषा से लेखक ने दूरी बनाए रखी है।

उत्कर्ष प्रकाशन, मेरठ कैंट (उत्तर प्रदेश) से प्रकाशित इस संग्रह की छपाई , कागज कलेवर अच्छा है,  मूल्य दो सौ रुपए है। पुस्तक के कॉपी राइट्स लेखक ने अपने पास रखें है।संग्रह स्वागत योग्य और  पठनीय है।

◆ डॉ. रवींद्र कुमार सोहोनी ,समीक्षक

पूर्व प्राचार्य अग्रणी महाविद्यालय, मन्दसौर

------------------------------------------/---

( प्रस्तुति - डॉ घनश्याम बटवाल मंदसौर )

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

Post a Comment

Previous Post Next Post