[प्रसंगवश – 22 जून: विश्व वर्षावन दिवस]
विश्व वर्षावन दिवस: चेतना, चुनौती और परिवर्तन की घड़ी
[पेड़ नहीं बचे तो पीढ़ियाँ नहीं बचेंगी]
पृथ्वी की धड़कन, हरे-भरे वर्षावन, आज हमारे सामने एक चेतावनी के साथ खड़े हैं—या तो हम इन्हें बचा लें, या अपनी सभ्यता का अंत देखने को तैयार रहें। 22 जून को मनाया जाने वाला विश्व वर्षावन दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि एक वैश्विक आह्वान है, जो हमें इस ग्रह के सबसे कीमती खजाने—हमारे वर्षावनों—के संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपता है। ये जंगल, जो पृथ्वी की सतह का मात्र 6% हिस्सा कवर करते हैं, विश्व की 50% से अधिक जैव विविधता को आश्रय देते हैं और मानव जीवन के लिए अपरिहार्य हैं। ये पृथ्वी के फेफड़े हैं, जो हर सांस के साथ ऑक्सीजन देते हैं, कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं, और जलवायु को संतुलित रखते हैं। लेकिन, जब हर मिनट फुटबॉल मैदान जितना जंगल काटा जा रहा हो, तो क्या हम सचमुच इनकी रक्षा के लिए पर्याप्त कर रहे हैं? आइए, इस विश्व वर्षावन दिवस पर इन जंगलों की महिमा को समझें, उनकी चुनौतियों का सामना करें, और एक ऐसी दुनिया के लिए कदम उठाएं जहां प्रकृति और मानव एक साथ पनप सकें।
वर्षावन पृथ्वी के सबसे जीवंत और जटिल पारिस्थितिक तंत्र हैं। अमेज़न, कांगो बेसिन, बोर्नियो, और मेडागास्कर जैसे क्षेत्रों में फैले ये जंगल न केवल लाखों प्रजातियों का घर हैं, बल्कि ग्रह के पर्यावरणीय स्वास्थ्य की रीढ़ हैं। विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के अनुसार, अमेज़न वर्षावन में 400 बिलियन पेड़ और 16,000 से अधिक पौधों की प्रजातियां मौजूद हैं। ये जंगल वैश्विक ऑक्सीजन का 20% से अधिक उत्पादन करते हैं और प्रतिवर्ष 20 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक प्राकृतिक ढाल प्रदान करते हैं। नासा के शोध बताते हैं कि अमेज़न वर्षावन वैश्विक जलवायु पैटर्न को नियंत्रित करता है और 20% ताजे पानी का स्रोत है। ये जंगल नमी छोड़ते हैं, जो वर्षा के रूप में दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचती है, जिससे वैश्विक कृषि और जल संसाधन निर्भर हैं। लेकिन, जब हर साल 15 मिलियन हेक्टेयर जंगल वनों की कटाई के कारण नष्ट हो रहे हैं, तो यह स्पष्ट है कि हम इन अनमोल संसाधनों को खोने की कगार पर हैं।
वर्षावनों का महत्व केवल पर्यावरण तक सीमित नहीं है; ये मानव सभ्यता के लिए भी अपरिहार्य हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, 25% आधुनिक दवाएं वर्षावनों से प्राप्त पौधों पर आधारित हैं। मलेरिया के इलाज में उपयोगी क्विनाइन, कैंसर के उपचार में मददगार विंका पौधा, और कई अन्य औषधियां इन जंगलों की देन हैं। इसके अलावा, कॉफी, कोको, केले, और ताड़ का तेल जैसे उत्पाद भी वर्षावनों से आते हैं। इन जंगलों में रहने वाले 350 मिलियन से अधिक स्वदेशी लोग अपनी आजीविका, संस्कृति, और आध्यात्मिकता के लिए इन पर निर्भर हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, स्वदेशी समुदायों का पारंपरिक ज्ञान वर्षावनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन वनों की कटाई के कारण उनकी संस्कृति और अस्तित्व भी खतरे में है।
विश्व वर्षावन दिवस की शुरुआत 22 जून, 2017 को रेनफॉरेस्ट पार्टनरशिप द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर वर्षावनों के संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ाना है। यह संगठन, जो संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद से संबद्ध है, 70 से अधिक वैश्विक भागीदारों के साथ मिलकर कार्य करता है। 2021 में शुरू हुए विश्व वर्षावन शिखर सम्मेलन ने इस मिशन को और मजबूती दी, जिसमें सरकारें, वैज्ञानिक, और सामाजिक संगठन एक साथ आए। यह दिन हमें वनों की कटाई, अवैध शिकार, और खनन जैसी समस्याओं के खिलाफ कार्रवाई करने की प्रेरणा देता है। लेकिन चुनौतियां कम नहीं हैं। ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के अनुसार, 2022 में अकेले अमेज़न में 11,088 वर्ग किलोमीटर जंगल नष्ट हुआ, जो पिछले दशक की तुलना में 11% अधिक है। कांगो बेसिन में अवैध लकड़ी व्यापार और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाम ऑयल के लिए जंगल साफ करना जैव विविधता को खतरे में डाल रहा है।
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। हम टिकाऊ उत्पादों का उपयोग करके, पुनर्चक्रण को बढ़ावा देकर, और वृक्षारोपण में भाग लेकर बदलाव ला सकते हैं। उदाहरण के लिए, पाम ऑयल जैसे उत्पादों का बहिष्कार और पर्यावरण-अनुकूल विकल्प चुनना वनों की कटाई को कम कर सकता है। सरकारों को कठोर नीतियां लागू करने, अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने, और स्वदेशी समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी-15) में स्थलीय पारिस्थितिक तंत्रों के संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है, और हमें इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। शिक्षा और जागरूकता भी इस लड़ाई में महत्वपूर्ण हथियार हैं।
विश्व वर्षावन दिवस हमें एक तीखी चेतावनी देता है—ये जंगल महज पेड़ों का समूह नहीं, बल्कि हमारी धरती का जीवंत हृदय हैं, जिनकी हर धड़कन में जीवन की सांस बसी है। ये वो हरे फेफड़े हैं, जो हमें ऑक्सीजन देते हैं, जलवायु को संतुलित रखते हैं, और हमारी सभ्यता को पनपने का आधार प्रदान करते हैं। यदि हम आज इन वर्षावनों को नहीं बचाएंगे, तो हम अपनी आने वाली पीढ़ियों से न केवल उनका हक, बल्कि उनके जीने का अधिकार भी छीन लेंगे। यह समय शब्दों का नहीं, बल्कि ठोस कदमों का है। एक पौधा लगाइए, टिकाऊ उत्पादों को अपनाइए, अपने समुदाय में जागरूकता की लहर फैलाइए—हर छोटा प्रयास इस ग्रह की रक्षा का मजबूत कदम है। इस विश्व वर्षावन दिवस पर एक अटल संकल्प लें कि हम इन हरे खजानों को बचाएंगे, क्योंकि जब तक ये जंगल सांस लेंगे, हमारी धरती जीवित रहेगी। यह हमारा वचन है, हमारा कर्तव्य है, और सबसे बढ़कर, हमारी माटी के प्रति हमारा अटूट प्रेम है। अपनी आवाज को बुलंद करना होगा और इस हरे ग्रह को बचाने के लिए एकजुट होना होगा क्योंकि अगर वर्षावनों की सांस थम गई, तो हमारी धरती का हृदय भी हमेशा के लिए खामोश हो जाएगा।
- प्रो. आरके जैन “अरिजीत”, बड़वानी (मप्र)