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विश्व पृथ्वी दिवस पर विशेष : जिंदगी के लिए धरती को रखें स्वस्थ -डॉ. केशव पाण्डेय,ग्वालियर



जिंदगी के लिए धरती को रखें स्वस्थ

विश्व पृथ्वी दिवस पर विशेष 
 डॉ. केशव पाण्डेय



“ ब्रह्मांड में पृथ्वी बहुत ही व्यापक शब्द है। जिसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इनसे जुड़े अन्य कारक हैं। 71 फीसदी पानी से ढकी लगभग 4.54 अरब साल पुरानी पृथ्वी एकमात्र ग्रह है जिस पर जीवन संभव है। इसलिए इस प्राकृतिक संपत्ति को बनाए रखना आवश्यक है। बावजूद इसके पृथ्वी की सेहत बिगड़ रही है। समय रहते नहीं चेते तो भविष्य में परिणाम गंभीर हो सकते हैं। विश्व पृथ्वी दिवस पर खास रिपोर्ट।“* 

----- 22 अप्रैल को पूरी दुनिया में विश्व पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। पीस एक्टिविस्ट जॉन मैककोनेल ने 1969 में यूनेस्को सम्मेलन में प्रस्ताव रखा था। 22 अपै्रल 1970 को अमेरिका में पहला पृथ्वी दिवस मनाया गया। 1990 में डेनिस हेस ने इसे विश्व स्तर पर मनाए जाने की योजना बनाई। 141 देशों ने इसमें हिस्सा लिया। 2016 में पेरिस समझौते पर 175 देशों ने हस्ताक्षर कर इस दिन को विश्व व्यापी बना दिया। 2020 में पृथ्वी दिवस की 50वीं वर्षगांठ मनाई गई। विश्व पृथ्वी दिवस पर दुनियाभर के अनेक देश पर्यावरण की रक्षा के लिए एक साथ आते हैं। यह दिन वैश्विक जलवायु संकट पर केंद्रित है, जो हर दिन के साथ चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। 
पहले बात करते हैं, आखिर क्यों मनाया जाता है पृथ्वी दिवस? पृथ्वी दिवस दुनिया भर में मनाया जाने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है। इस विशेष दिन पर पर्यावरण की बढ़ती समस्याओं के समाधान पर जोर दिया जाता है। जिसमें अधिक जनसंख्या, जैव विविधता का नुकसान, ओजोन परत का नुकसान और बढ़ता प्रदूषण शामिल है। तेजी से बढ़ता प्रदूषण और वनों की कटाई जैसे पर्यावरणीय मुद्दों पर चर्चा के लिए यह दिन मनाया जाता है। जलवायु मुद्दों और पर्यावरण साक्षरता के विषयों पर दुनियाभर में अनेक आयोजन होते हैं। 
शुरुआत में इस दिन की अवधारणा पृथ्वी का सम्मान करने और उस पर शांति बनाए रखने के लिए थी। लेकिन 2016 में पृथ्वी दिवस को जलवायु संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया गया। इसके लिए एक अंतर-सरकारी संधि, पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। 
इस दिवस के नाम का का भी रोचक किस्सा है। रॉन कॉब ने 25 अक्टूबर 1969 में एक पोस्टर बनाया था। पोस्टर पर ई और डी अक्षरों का संयोजन था। बाद में यही प्रतीक अक्षर पृथ्वी दिवस से जुड़े और नाम पड़ गया अर्थ-डे यानी पृथ्वी दिवस। दिवस को बढ़ावा देने के लिए कुछ लोग 16 से 22 अप्रैल तक अर्थ वीक मनाते हैं। यह सप्ताह स्वयं के साथ दूसरों को अर्थ वीक, जलवायु परिवर्तन और इसे रोकने के लिए कार्य करने की आवश्यकता के बारे में शिक्षित करने के लिए समर्पित है। 1990 में जब डेनिस हेस ने इसे विश्व स्तर पर मनाने का विचार बनाया था तब 141 देशों ने भाग लिया। वर्तमान में दुनियाभर में लगभग 193 देश पृथ्वी दिवस मनाते हैं।
1962 में न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्टसेलर “साइलेंट स्प्रिंग“ के प्रकाशन ने पांच लाख प्रतियों के माध्यम से दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जबरदस्त माहौल बनाया था। परिणाम स्वरूप 1980 में वाशिंगटन में पृथ्वी दिवस का मुख्य कार्यक्रम आयोजित हुआ। व्हाइट हाउस के सामने डीसी ने लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम, समुद्री स्तनपायी संरक्षण अधिनियम, सुपरफंड, विषाक्त पदार्थ नियंत्रण अधिनियम, संसाधन संरक्षण और पुनर्प्राप्ति अधिनियम और निश्चित रूप से स्वच्छ वायु अधिनियम तथा स्वच्छता सहित महत्वपूर्ण अमेरिकी पर्यावरण कानून के एक दशक को सीमित कर दिया। जल अधिनियम. इसमें पर्यावरण संरक्षण एजेंसी का निर्माण और गैसोलीन में डीडीटी और लेड पर प्रतिबंध लगाया गया था। 80 के दशक के दौरान अंतरराष्ट्रीय नीतिगत पहलों की तरह, पृथ्वी दिवस का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार किया गया। 2010 में एक अरब लोगों ने पृथ्वी दिवस की 40वीं वर्षगांठ मनाई। 
पृथ्वी दिवस को हर साल एक खास थीम के साथ मनाया जाता है। 2024 की थीम है “ग्रह बनाम प्लास्टिक“। थीम का मकसद है प्लास्टिक प्रदूषण के गंभीर खतरे से लोगों को अवगत कराना, कि कैसे प्लासिटक हमारे ग्रह और इस पर रहने वालों को नुकसान पहुंचा रहा है। प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और पर्यावरण से प्लास्टिक कचरे को हटाने के लिए लोगों को जागरूक करना ही लक्ष्य है।  कारण स्पष्ट है कि आज प्लास्टिक र्प्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है जो पृथ्वी के श्रृंगार पर ग्रहण बन रहा है। पेड़ उजड़ रहे हैं धरती बंजर हो रही है, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण फैल रहा है, लोगों की सेहत बिगड़ रही है। ऐसे में सिंगल-यूज प्लास्टिक और प्लास्टिक कचरे को रीसायकल करें। साथ ही यह भी जरूरी हो जाता है कि पृथ्वी ने प्रकृति के रूप में धरती पर जीवन को सुखद बनाया है तो हम सब का दायित्व बनता है कि अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए पृथ्वी की सेहत का भी ख्याल रखें।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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