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अक्षय तृतीया का महत्व - एस्ट्रो मनोज गुप्ता (C-SET) दिल्ली


 

अक्षय तृतीया का महत्व

अक्षय तृतीया को अक्ती या आखा तीज भी कहा जाता है. यह त्योहार हिन्दुओं व जैनियों का एक शुभ व प्रमुख त्योहार है। ये त्योहार वैशाख महीने शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. अक्षय तृतीया का मतलब होता है. आनंद, सफलता और समृद्धि में कोई कमी न होना. इस दिन विधि-विधान से देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस शुभ अवसर पर पूजा करने से देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इससे आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं. माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. अक्षय तृतीया को दान दिवस विशेष के रूप में भी मनाया जाता है।यह दिन फसल कटाई के मौसम के लिए खेती का पहला दिन माना जाता है। 

इस त्योहार को भारत व नेपाल में हिन्दुओं व जैनियों द्वारा एक शुभ समय के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जो भी कार्य इस दिन किये जाते है, उनका अक्षय फल मिलता है। इसलिए इस दिन को अक्षय तृतीय कहा जाता है।संस्कृत में ‘अक्षय’ का अर्थ आशा, समृद्धि, आनंद और सफलता होता है और ‘तृतीय’ का अर्थ तीसरा होता है।अक्षय का अर्थ है कभी न क्षय(नाश ) होने वाला यह दिन सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी जाना जाता है इसदिन कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य बिना किसी से पूछे अर्थात पंचांग देखे किये जा सकते है - जैसे कि विवाह, गृह प्रवेश, वस्त्र, आभूषण, घर, जमीन और वाहन आदि खरीदना।

ऐसा माना जाता है

• इसी दिन ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण(जन्म ) हुआ था ।

• इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था

• यह दिन कृष्ण-सुदामा पुनर्मिलन दिवस के रूप में भी प्रसिद्ध है।

• इसी दिन द्वापर युग का भी अंत हुआ था।

• माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी इसी दिन हुआ था ।

• इसी दिन चिरंजीवी महर्षी परशुराम का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन को परशुराम जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता हैं।

• इसी दिन कुबेर को खजाना मिला था।

• इसी दिन माँ गंगा का धरती अवतरण हुआ था।

• इसी दिन सूर्य भगवान ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया था ।

• वेदव्यास जी ने महाकाव्य महाभारत की रचना गणेश जी के साथ शुरू करी थी ।

• प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान के 13 महीने का कठीन उपवास का पारणा(सामाप्त ) इक्षु (गन्ने) के रस से किया था।

• इसी दिन आदि शंकराचार्य ने कनकधारा स्तोत्र की रचना की थी।

•भविष्य पुराण के अनुसार वणिक नामक धर्मात्मा विशेषतौर पर इसी दिन अपने परिवार के खिलाफ़ जाकर दान दक्षिणा किया करता था। परिणामस्वरूप राजा के रूप में उसका पुनर्जन्म हुआ। इसलिए यह दिन को दान दक्षिणा के लिए विशेष महत्व रखता है।

• भगवान शिव ने धन के स्वामी कुबेर को माता लक्ष्मी की पूजा करने की सलाह दी थी

•शास्त्रानुसार , देवी दुर्गा ने इसी दिन महिषासुर का वध किया गया था।पवित्र पुराणों के अनुसार, उस दिन को सतयुग के अंत और त्रेता युग के प्रारम्भ के रूप में चिह्नित किया गया था

 

इसी दिन क्या क्या खास कार्य भारत में होते है आइये उन्हें भी जानते है

 

• प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण धाम का कपाट खोले जाते है।

• बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में श्री कृष्ण चरण के दर्शन साल में एक बार सिर्फ अक्षय तृतीया को ही होते है।

• अक्षय तृतीया से ही जगन्नाथ भगवान के सभी रथों को बनाना प्रारम्भ किया जाता है।

• पंचांग में कोई विवाह या गृह प्रवेश का शुभ मुहरत न हो तो आज के दिन वो करते है या कर सकते है

• बहुत से लोग आज के दिन अपने पापो की मुक्ति के लिए गंगा स्नान करते है

• इस दिन पितरों के लिए किया गया तर्पण या पिण्डदान या कोई भी दान अक्षय फल देता है

• जौ गेहूं का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल के दान से कई दोषो का शमन होता है

• इस दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है। यह तिथि यदि सोमवार तथा रोहिणी नक्षत्र के दिन आए तो इस दिन किए गए दान, जप-तप का फल बहुत अधिक बढ़ जाता हैं।

• आज के दिन अपने दुर्गुणों को भगवान के चरणों में सदा के लिए अर्पित कर उनसे सदगुणों का वरदान माँगने की परम्परा भी है

• इसी दिन अधिकतर लोग नया घर ,सोना ,चांदी कार आदि को खरीदते है

- एस्ट्रो मनोज गुप्ता (C-SET) 

दिल्ली

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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