‘मन्नतों के धागे’ उपन्यास लोकार्पित हुआ
भोपाल । न्यू भूमिका साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था भोपाल के तत्वाधान में भोपाल के लेखक चंद्र भान राही के उपन्यास ‘मन्नतों के धागे’ का लोकार्पण दुष्यंत स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय में अश्विनी कुमार दुबे की अध्यक्षता, इक़बाल मसूद के मुख्य आतिथ्य, रमा कांत ताम्र कार के विशिष्ट आतिथ्य में संपन्न हुआ।
पुस्तक के समीक्षक के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार श्री गोकुल सोनी एवम श्री राजेंद्र गट्टानी भी मंचासीन रहे।
उपन्यासकार चंद्र भान राही ने उपन्यास की भाव भूमि पर प्रकाश डाला और एक अंश पढ़कर सुनाया। समीक्षक राजेन्द्र गट्टानी ने उपन्यास के कथानक पर प्रकाश डाला और इसे अत्यंत उपयोगी व मनोरंजक निरूपित किया।
कुशल समीक्षक गोकुल सोनी ने उपन्यास की समीक्षात्मक विवेचना प्रस्तुत करते हुए इसे उत्कृष्ट रचना बताया। साथ ही कहा कि चंद्रभान राही ने उपन्यास के क्षेत्र में देश में भोपाल का भाल ऊंचा किया है। उनके उपन्यास के विषय सर्वथा नवीन होते हैं। विशिष्ट अतिथि जबलपुर से पधारे सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार रमा कांत ताम्रकार ने कहा कि इसे पढ़कर जाना जा सकता है कि आजकल संतों के आश्रमों में क्या हो रहा है। मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध कथाकार इक़बाल मसूद ने कहा कि यह उपन्यास अद्भुद रचना है। अध्यक्ष की आसंदी से इंदौर के वरिष्ठ और बहुआयामी साहित्यकार अश्विनी कुमार दुबे ने उपन्यास को आज के पाखंडी धार्मिक संतों की कार्य विधि के परिवेश का आईना निरूपित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध कहानीकार डॉक्टर आज़म में किया। स्वागत भाषण डॉक्टर अनीता सिंह चौहान में दिया।
कार्यक्रम के दूसरे भाग में रंगारंग कवि गोष्ठी हुई जिसमे बड़ी संख्या में पढ़ते शहर के एवम जबलपुर तथा इंदौर के रचनाकारों ने काव्यपाठ किया।
गोकुल सोनी