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काव्य : गीत - चन्द्रभान सिंह चन्दर , भोपाल


 काव्य : 

गीत 

ओ प्रवासी मन

मन करे चिंतन

क्या गहा भर मन 

या रहा ठन ठन 


चाँद का टुकड़ा 

चाँद से बिछुड़ा 

घाव फिर उधड़ा 

गांव ही उजड़ा  


स्वार्थ का मंचन 

स्वयं से वंचन 

काया का कंचन 

माया हित अंचन 


ओ उदासी मन 


गैल घर भूला

सूना है झूला 

ठंडा है चूल्हा

शांत रमतूला 


प्रेम का तर्पण

नीड़ का बंधन

अपनों का क्रंदन 

सपनों का मंथन 


ओ सन्यासी मन 


जागता कंगना 

ताकता अंगना  

प्रणय का रंग ना 

चांद भी संग ना


मोहनी बन ठन 

सोहनी खन खन

जादुई छन छन 

ताउमर तन तन 


ओ सियासी मन


राखियाँ रोती 

भाभियाँ सोती 

चाबियां खोती 

तल्खियां बोती 


लोरियाँ बचपन 

कुट्टीयां अनबन 

धुल रहा अंजन 

उड़ गया खंजन


ओ कयासी मन 


भटकती पतियां

अटकती बतियां

खटकती रतियाँ

धधकती छतियां


सच कहे दर्पण 

मिथ्या यौवन धन 

लाख कीजे जतन 

खो जाए ये रतन 


ओ विलासी मन


जीवन पहेली है 

मृत्यु सहेली है 

तन हवेली है 

आत्मा नवेली है 


नित नई उलझन 

बांधती झन झन 

थपकियाँ धड़कन 

साँसों की सन सन 


खोजे कासी मन 


कान्हा भजे राधा 

मुरली हरे बाधा 

रास रस आधा 

कर्मपथ साधा 


सिसकता मधुबन 

टेरे गोवर्धन 

बेसुध है वृन्दावन 

कित एक पग नर्तन 


बिरजवासी मन 


छोरियां छोरे 

एक नहीं धोरे 

जिंसों के बोरे 

कोरे के कोरे 


कमरों का सूनापन 

एकाकी अपनापन 

ख़ामोशियां तड़पन

घुटन का कम्पन


ओ अमावसी मन 


 - चन्द्रभान सिंह चन्दर , भोपाल

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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