काव्य :
कुंभ की महिमा
कुम्भ छेत्र में सब लोग जुटे हैं,
जटा जूट सब सिर पर धरे हैं।
देह कांपती ठंडी में भी लोग जुटे हैं,
नागा साधू-संत सब बिन वस्त्र डटें हैं।
देश-विदेश से आये सब लोग,
छोड अपना विलास और भोग।
अध्यात्म का संगम देखेंगे,
कुम्भ से जीवन का अमृत लेंगें।
जीवन से दो पल ले अपने,
लक्ष्य साधाना में जुट जाएँ ।
कुम्भ क्षेत्र प्रयागराज चल,
अपने जीवन को सफल बनायें।
मीना पांडेय
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
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