काव्य : सृजन
समय समेटता गया वर्ष
अच्छे- बुरे पलों के साथ
जाते हुए सीख देता
कुछ उम्मीदें जगाता
बस यही प्रार्थना
बचा रहें हर जीव
रक्षित रहें सृष्टि सृजन
ख़त्म हो युद्ध संहार
विश्व को बचाना
आते हुए नववर्ष..
- लतिका 'नीर', पुणे ( महाराष्ट्र)
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काव्य
संपादक श्री. देवेंद्र सोनी जी, कविता प्रकाशित करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!
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