विचार प्रवाह अध्ययन एवं शोध केन्द्र का त्रैमासिक व्याखान संपन्न
ग्वालियर । समरस समाज बनाने के उद्देश्यों को लेकर विचार प्रवाह अध्ययन एवं शोध केन्द्र, नई सड़क, ग्वालियर द्वारा संविधान निर्माण के 75 वर्ष पूर्ण होने पर आज रविवार 02 फरवरी को संविधान निर्माण में डॉ. भीमराव अम्बेडकर बाबा साहब का योगदान एवं भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर त्रैमासिक व्याख्यान माला का आयोजन विवेकानन्द सभागार, राष्ट्रोत्थान न्यास, नई सड़क लश्कर ग्वालियर पर किया गया।
जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. संदीप मौर्य ने संविधान निर्माण में बाबा साहब के योगदान पर बोलते हुए कहा कि बाबा साहब को प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया। बाबा साहब ने मधुमेह की बीमारी के चलते 2 वर्ष 11 मा 18 दिन के बाद संविधान की रचना की जिसे बाद में आम जनता के समक्ष रखा गया।
बाबा साहब ने लोगों के समानता के अधिकार के तहत सभी को समान अधिकार प्रदान दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि संविधान एक व्यक्ति अथवा समाज के लिए ना होकर सभी नागरिकों के लिए एक समान है।
डॉ . मौर्य ने बताया कि हमारे तिरंगे में 24 तिल्लियां है वह जनमानस के 24 कर्तव्यों को दर्शाती हैं।
उन्होंने कहा कि संविधान में अनुच्छेद 17 में छुआछूत को समाप्त करने हेतु विशेष प्रावधान किए गए हैं इसमें दण्डादेश का भी प्रावधान किए गए है। वहीं उन्होंने इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला।
डा. मौर्य ने आग्रह किया कि व्यक्ति को अपने अधिकारों की चेतना के लिए संविधान का अध्ययन अवश्य करना चाहिए।
व्याख्यान माला के दूसरे वक्ता श्री मदन भार्गव ने 'संविधान में भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकार' विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय समाज पर मौलिक अधिकार किस प्रकार प्रभाव डालते हैं । उनके अनुसार संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म के आधार पर वंश के आधार पर अथवा जाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता । उन्होंने कहा कि हमारा संविधान सभी को समान अधिकार प्रदान करता है । इन अधिकारों से किसी को भी वंचित नहीं किया जा सकता । उन्होंने कहा कि संविधान में यह भी उल्लेखित है कि छुआछूत को लेकर किसी को भी अपमानित नहीं किया जा सकता। श्री भार्गव ने कहा कि हमारा संविधान भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है इससे किसी को वंचित नहीं किया जा सकता।
वहीं उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता।
श्री मदन भार्गव ने विस्तार से संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लेख का वर्णन सविस्तार व्याख्यान माला में किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री आर.के. बहेरिया सेवा निवृत्त संभागीय शिक्षा अधिकारी द्वारा की गई।
इससे पूर्व अतिथिगणों द्वारा डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के चित्र पर माल्यापर्ण करते हुए व्याख्यान माला का शुभारंभ किया गया |
अतिथि परिचय श्री गोपाल जाटव द्वारा दिया गया।
शोध केंद्र के श्री सुधीर शर्मा ने विचार प्रवाह अध्ययन एवं शोध केंद्र की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह अध्ययन केंद्र आगामी 21 फरवरी को अपनी स्थापना के 3 वर्ष पूर्ण करने जा रहा है इस दौरान इस व्याख्यान माला के अंतर्गत अनेक विद्वान भक्तों द्वारा अनेक विषयों का प्रतिपादन किया गया। उन्होंने बताया कि इस अध्ययन केंद्र के माध्यम से साप्ताहिक मासिक एवं त्रैमासिक व्याख्यान किया जाता है।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती वर्षी सुमन द्वारा किया गया। कार्यक्रम का आभार श्री प्रमोद चौहान (बाल्मीकि) द्वारा किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती अर्चना सगर एवं सह संयोजक विनोद अष्टैया, डॉ रवि अंबे, डॉ. माखीजानी, अजय निरंकारी, अर्जेन्दर छाबरिया, डा वर्सेना, राजेश कटारे बाल्मीकी, रामसेवक कटारे, मोनिका घई, रविकांत बनाफाल प्रेमदास माने, कुलदीप पंवार सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
प्रेषक :
मुकेश तिवारी,वरिष्ठ पत्रकार