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काव्य : सागर हूं मैं - अमन कुमार ,सागर


 काव्य : 

सागर हूं मैं


गौर साहब का सपना हूं ,घरौंदा घर सा अपना हूं मैं,

रानगिर माता का आशीर्वाद हूं, गढ़ पहरा का इतिहास हूं मैं,

अजी हां मध्य प्रदेश की श्वास हूं मैं।

चंद्रा पार्क की शांति हूं, भापेल की क्रांति हूं मैं,

आपचन्द  की गुफाओं का इतिहास हूं, एरन जैसा कुछ खास हूं,मैं

अजी हां मध्य प्रदेश की श्वास हूं, मैं। 

 शिव साहब की कविता हूं , बुंदेली संस्कृति की सविता हूं, मैं

राधा वल्लभ त्रिपाठी का  ज्ञान हूं, आशुतोष राणा का अभिमान हूं मैं, 

अजी हां  मध्य प्रदेश का शान  हूं, मैं।

नंदूलाल की बगिया भी मैं, उदय प्रकाश की वसुधा हूं,

मैं मुकेश का मुम्बई भी,नवीन सागर की नगरी हूं,मैं 

मैं हूं पद्माकर की गंगा –लहरी , गोविन्द की तरंग हूं, मै ,

अजी हां बुंदेलखंड के संग हूं मैं।

मैं शिव शक्ति सा पावन हूं, वृंदावन सा मनभावन भी, मैं 

मैं ओशो का ज्ञान हूं , गौर साहब का दान हूं ,मैं 

अजी हां मध्य प्रदेश की  शान हूं, मैं ।

राहतगढ़ की  निर्मलता हूं, चकरा घाट में  काशी हूं, मैं 

मैं  बंजारा का  बलिदान हूं, बुंदेलखंड की जान हूं, मैं  

अजी हां  मध्य प्रदेश की शान हूं ,मैं ।

अटल पार्क का प्रेम हूं,  लाखा बंजारा का डैम हूं मैं,

मैं हूं भूतेश्वर की शक्ति  ,नागेश्वर जी  की भक्ति भी, मैं 

मैं नीलकंठ सा न्यारा हूं, मंगल गिरि सा प्यारा हूं मैं,

अजी हां बुंदेलखंड का दुलारा हूं, मैं ।।

  -  अमन कुमार ,सागर


देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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