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काव्य : कविता - डॉ ब्रजभूषण मिश्र, भोपाल


 काव्य : 

कविता


उतरते से हैं बादल ,मन में

 और रचने लगते हैं

धुआंधार, जल प्रपात सा,

शनैः शनैः

उतरते हैं अक्षर,

कवि मन से 

और रचने लगते हैं

सुव्यवस्थित,सुगठित,वांछित

शब्द गुच्छ

और

अंकित हो जाते हैं

मन पृष्ठों पर,

कविता के रूप में,


कविता, तुम्हारा जन्म

तुम्हारा जादू,

तुम्हारा तिलिस्म ,तुम्हारा नहीं होता

होता है यह मन का

जहाँ, अजायबघर सी रहती हो तुम बन्द

और कभी,कभी

अलमारी के दरवाजे से निकलकर

तुम दिख जाया करती हो

कवि को।

- डॉ ब्रजभूषण मिश्र, भोपाल

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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