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काव्य : विश्वास - डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल


 काव्य : 

विश्वास


*विश्वास* प्रबल आस होता

ग्रीष्म में भी यह मधुमास होता

कल कल ऊर्जा का, यह सोता

निराशा में भी,आस के बीज बोता



छल कपट से होता बहुत दूर

*विश्वास* में होती, आस्था भरपूर

मन में जिसने *विश्वास* रखा

उसने ही सफलता को है चखा


*आत्मविश्वास* से परबत चढ़ सकते

श्रम साधक ,सब सपने गढ़ सकते

*विश्वास* है ,तो जीवन में हर कल है

क्षण भंगुर इस जीवन में, हलचल है


*विश्वास* है ,विजय की पायदान

श्रम ,निष्ठा से मिलता समाधान 

भरोसा और यकीन हैं इसके नाम

*ब्रज*,रिश्तों में शक्ति की यह,पहचान


 - डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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