काव्य :
विश्वास
*विश्वास* प्रबल आस होता
ग्रीष्म में भी यह मधुमास होता
कल कल ऊर्जा का, यह सोता
निराशा में भी,आस के बीज बोता
छल कपट से होता बहुत दूर
*विश्वास* में होती, आस्था भरपूर
मन में जिसने *विश्वास* रखा
उसने ही सफलता को है चखा
*आत्मविश्वास* से परबत चढ़ सकते
श्रम साधक ,सब सपने गढ़ सकते
*विश्वास* है ,तो जीवन में हर कल है
क्षण भंगुर इस जीवन में, हलचल है
*विश्वास* है ,विजय की पायदान
श्रम ,निष्ठा से मिलता समाधान
भरोसा और यकीन हैं इसके नाम
*ब्रज*,रिश्तों में शक्ति की यह,पहचान
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल
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