आज का समाचार कल का इतिहास होता है , यह सामाजिक जिम्मेदारी है मीडिया की वह तथ्यों को प्रमुखता दें - वरिष्ठ स्तंभकार लेखक श्री दुबे
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में साहित्य और संस्कृति को स्थान मिलना चाहिए - संपादक , साहित्यकार श्री छाजेड़
जनपरिषद मंदसौर चैप्टर द्वारा साहित्य संवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मंदसौर । साहित्य समाज का दर्पण है यह सत्य है पर यह अन्यान्य कारणों से प्रभावित होरहा है , आज प्रकाशित और प्रसारित साहित्य हो या समाचार कल इतिहास बनता है इसमें जिम्मेदारी लेखक , पत्रकार और साहित्यकार की है कि तथ्यों को शामिल करते हुए दायित्व निभाएं
यह विचार व्यक्त किये वरिष्ठ स्तंभकार लेखक और पूर्व संयुक्त संचालक जनसंपर्क मध्यप्रदेश श्री राजा दुबे ने ।
श्री दुबे ने कहा कि आज भी समाज का भरोसा मीडिया पर है इसे बचाये रखना होगा । आप शनिवार को हेमू कालानी चौराहा स्थित पांडेय सभागृह में जनपरिषद मंदसौर चैप्टर द्वारा आयोजित साहित्य संवाद को संबोधित कर रहे थे ।
विशिष्ट अतिथि रतलाम के साहित्यकार एवं उपग्रह संपादक श्री सुरेंद्र छाजेड़ ने कहा कि वर्तमान में प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की पहुंच घर घर तक है इसकी चुनौती सोशल मीडिया से भी है फिर भी विश्वास परंपरागत मीडिया पर ही किया जारहा है ,ऐसे में दायित्व बढ़ जाता है कि साहित्य और संस्कृति को पर्याप्त स्थान मिलना चाहिए तभी हम भविष्य के पाठकों और दर्शकों को अवगत करा पाएंगे ।
श्री छाजेड़ ने कहा कि रतलाम , मंदसौर , नीमच साहित्य कला संस्कृति इतिहास और पुरातत्व के केंद्र रहे हैं इन विरासतों को वर्तमान और भावी पीढ़ी को अच्छे परिदृश्यों के साथ हस्तांतरित करना होगा यह हमारा ओर मीडिया के साथ साहित्यकारों का दायित्व है ।
साहित्य संवाद की अध्यक्षता दशपुर प्राच्य शोध संस्थान निदेशक एवं प्रख्यात इतिहाकार श्री कैलाशचंद्र पांडेय ने करते हुए साहित्य इतिहास संस्कृति और पुरातत्व महत्व रेखांकित करते हुए विचार रखे ।
आरंभ में स्वागत जन परिषद सचिव नरेंद्र त्रिवेदी , डॉ घनश्याम बटवाल अजय डांगी नरेंद्र भावसार चंदा डांगी आदि ने किया ।
साहित्य संवाद में नंदकिशोर राठौर , मनीषमनी शामगढ़वाला , डॉ दिनेश तिवारी , सी ऐ सिद्धार्थ अग्रवाल , जितेंद्र पांडेय , नरेंद्र त्रिवेदी , डॉ प्रीतिपाल सिंह राणा , अजिजुल्लाह खालिद , रवींद्र पांडे आदि ने रचना पाठ करते हुए अपने विचार साझा किये ।
जन परिषद द्वारा अतिथियों का सम्मान उपरणा और शॉल ओढ़ाकर किया गया । पुरातत्व विद्वान श्री कैलाश चंद्र पांडेय द्वारा संपादित रतलाम इतिहास और दिव्य दशपुर इतिहास संग्रह की प्रति अतिथियों को भेंट की गई ।
साहित्य संवाद संचालन डॉ घनश्याम बटवाल ने किया आभार शिक्षाविद अजिजुल्लाह ख़ालिद ने किया ।