तिरंगा यात्रा के साये में “जब बोल उठा सिंदूर” काव्य गोष्ठी सम्पन्न
भोपाल । अखिल भारतीय कला मंदिर भोपाल द्वारा “भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ मिशन की सफलता पर “जब बोल उठा सिंदूर” विषय पर काव्य गोष्ठी का आयोजन विश्व संवाद केंद्र शिवाजी नगर में किया गया।
गोष्ठी संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ गौरी शंकर शर्मा 'गौरीश', की अध्यक्षता डॉ साधना बलवटे निदेशक निराला सृजन पीठ के मुख्य आतिथ्य कार्यकारी अध्यक्ष श्री हरिवल्लभ शर्मा ‘हरि’, उपाध्यक्ष श्री सुरेश पटवा एवं डॉ वंदना मिश्र की मंचासीन उपस्थिति में सम्पन्न हुई। इस अवसर पर कलामन्दिर द्वारा कर्नल विजयचन्द्र सिंह कपूर आर्मी साइंटिस्ट का सम्मान किया गया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर गौरी शंकर शर्मा 'गौरीश' ने पहलगाम कायराना कृत्य के जवाब में भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान में आतंकियों को पनाह देने वाले ठिकानों पर जवाबी प्रहार के बारे में जानकारी दी एवं ओज पूर्ण रचना का पाठ किया।
“जागो जागो साहित्यकारों उठाओ कलम सिंदूरी, सेना हमारी बजरंगी जलाए पाक जैसे लंका पूरी'
मुख्य अतिथि डॉ साधना बलवटे ने ओजपूर्ण अपने उद्बोधन के साथ गीत प्रस्तुत किया-
“शब्द मौन मन आक्रोशित नयन रोष से रक्तिम है।
दिन गिन ले नापाक पड़ोसी तेरे दिन ये अन्तिम है।”
कार्यकारी अध्यक्ष श्री हरिवल्लभ शर्मा हरि ने ग़ज़ल सुनाई-
“नापाक पाक पिट के भी क्यों मानता नहीं।
छेड़ा गया जो हिन्द को फिर छोड़ता नहीं।”
उपाध्यक्ष श्री सुरेश पटवा ने कहा कि अहिंसा भाव व्यक्तिगत साधना का मंत्र हो सकता है, लेकिन कोई भी राष्ट्र हिंसा के उपयोग बिना नहीं चल सकता। उन्होंने पाकिस्तान से निपटने हेतु हिंसा को महाभारत युद्ध की पूर्व पीठिका पर कृष्ण के गीता संदेश “अर्जुन तू युद्ध कर” की तरह ज़रूरी बताया। उपाध्यक्ष डॉ. वंदना मिश्र ने भारतीय सेना की प्रशंसा की, और आम नागरिकों को कर्तव्य बोध याद दिलाया।
श्रीमती सीमाहरि शर्मा के कुशल संचालन में लगभग 50 प्रबुद्ध साहित्यकारों ने अपनी ओजपूर्ण रचनाओं से गोष्ठी को ऊँचाई प्रदान की।
चौधरी मदन मोहन 'समर' ने
“बिना सिंध के हिन्द कहाँ है,
रावी बिन पंजाब नहीं।
गंगा कैसे सुखी रहेगी, जब तक संग चिनाब नहीं।
किशन तिवारी ने
“हो सके सहमत न हमसे जब विचारों पर,
युद्ध की तैयारियाँ हैं चाँद तारों पर,
श्रीमती सीमा शिवहरे 'सुमन' ने
माँओं ने तुम्हें भेजा जंग पर ,
पत्थर करके अपनी छाती।
डॉ. प्रियंका श्रीवास्तव ने
बोल उठा सिंदूर हिन्दू गरजा फिर सिंदूर l
श्री शरद पटेरिया ने
आज उगते सूरज में डूबता आतंकवाद देखा.....
ऑपरेशन सिंदूर से डरता दुश्मन देश देखा
श्रीमती सुधा दुबे ने
बोल उठा सिंदूर कि अब चुप नहीं रहना चाहिए
सिंदूर लाली खून में बदली सबक सिखाना चाहिए।
साधना श्रीवास्तव ने
“मिटे सदा रहे न 'युद्ध' नाम शब्दकोष से
करें सभी विनष्ट अस्त्र शस्त्र क्यों न कोष से,
जैसी सुंदर ओजपूर्ण रचनाएँ प्रस्तुत कीं।
कला मंदिर साहित्यिक समूह के सीमाहरि शर्मा, श्रीमती आशा सिन्हा कपूर, मृदुल त्यागी, वीणा विद्या गुप्ता, सुनीता केसवानी, सचिव वी के श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष कृष्ण कांत श्रीवास्तव, अरविंद मिश्र, गोकुल सोनी, अशोक धमेंनियां, अशोक निर्मल, पुरूषोत्तम तिवारी सहित्यर्थी, बिहारीलाल सोनी अनुज, सुरेश पबरा आकाश, शरद पटेरिया, राजेश तिवारी, तेजसिंह ठाकुर, संतोष कुमार सोनी, चन्दर सिंह चन्दर, सरदार मलिकसिंह मलिक, विनोद जैन, कमलेश नूर,अभिषेक जैन अबोध, सुनील दुबे, हरिओम श्रीवास्तव, डॉ विमल कुमार शर्मा, रमेश श्रीवास्तव नन्द, अशोक गौर, मंजू पटवा की उपस्थिति एवं काव्यपाठ ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।
अंत में हुतात्माओं को शांति और पाकिस्तान को सद्बुद्धि प्रदान करने के लिये डॉ. गौरीशंकर शर्मा 'गौरीश' रचित “राम चालीसा”का पाठ किया गया। आभार प्रदर्शन संस्था सचिव श्री वी के श्रीवास्तव ने किया।
सुरेश पटवा
उपाध्यक्ष
अखिल भारतीय कला मंदिर भोपाल।