काव्य :
"दोहे मुक्तक"
"सब ही रहें निरोग"
प्राण वायु को साध कर,करने से नित योग।
तन मन होता स्वस्थ है,पास न आएं रोग।
प्रात काल कर देखना,ध्यान योग प्रभु गान,
बनते जीवन में तभी,सुंदर सुखद संयोग।।
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मनसा वाचा कर्मणा,का बनता जब योग।
सुंदर सब संसार के,लगते हैं तब भोग।
तन का,मन का इसलिए,योग करें भरपूर,
वैशाली कह जोर दे,सब ही रहें निरोग।।
- वैशाली रस्तौगी , जकार्ता,इंडोनेशिया
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