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काव्य : वह एक मजदूर है - प्रमोद सामंतराय सरायपाली


 काव्य : 

वह एक मजदूर है


पसीने से होकर भी तर-बतर,

वह अपना काम किये जा रहा है।


किसी के सपनों को पंख देने के लिए,

हर हाल में काम करने को मजबूर है, 

जी हां, वह एक मजदूर है ।।


कभी आशाओं से भरे बच्चों के सपने, 

तो कभी जिम्मेदारियों का एहसास लिए,


जेठ की उस तिलमिलाती धूप में भी,

उसे कहां रुकना मंजूर है, 

जी हां, वह एक मजदूर है ।।


सब की जरूरतें पूरी करनी है, 

रसोई का भार भी तो उठाना है,


जरा सा दम लेने को, कहां समय है, 

इसी सोच में तो वह मशगूल है,

जी हां, वह एक मजदूर है ।


सब कुछ पूरा करने की होड़ में, 

गलाए जा रहा है वह हड्डियां, 


अच्छी तरह जानते हुए भी, 

कि मंजिल अभी काफी दूर है, 

जी हां, वह एक मजदूर है ।।


 - प्रमोद सामंतराय

सरायपाली, महासमुंद (छ.ग.)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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