ad

दशलक्षण पर्व के तीसरे दिन मायाचारी छोड़कर उत्तम आर्जव धर्म को किया अंगीकार


दशलक्षण पर्व के तीसरे दिन मायाचारी छोड़कर उत्तम आर्जव धर्म को किया अंगीकार

ऋजुता, मृदुता और शुचिता मानव जीवन में धर्म के मूल आधार - पं. संतोष कुमार

विनय के बिना आत्मा की शुद्ध परिणति प्राप्त नहीं होती- सजल भैया

तालबेहट(ललितपुर) सिद्ध क्षेत्र पावागिरि सहित कसबे के दोनों जैन मंदिरों में आध्यात्मिक साधना के प्रतीक दशलक्षण महापर्व में तीन दिनों से निरंतर धर्म प्रभावना हो रही है। शनिवार को सुबह से ही भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर पहुँचकर अभिषेक शांतिधारा पूजन विधान की क्रियाएँ संपन्न की, जिसमें बच्चों ने भी बढ़चढ़ कर भाग लिया। जैन धर्म के नौवें तीर्थंकर पुष्पदन्तनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक पर निर्वाण लाडू चढ़ाया, संकटमोचक मुनिसुव्रतनाथ भगवान की विशेष अर्चना की एवं उत्तम आर्जव धर्म को अंगीकार किया। सायं कालीन बेला में संगीतमय आरती के बाद धर्मसभा से पूर्व श्रेष्ठीजनों ने आचार्य विद्यासागर महाराज का चित्र अनावरण कर दीप प्रज्जवलित किया। मंगलाचरण निमिषा जैन ने किया। पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में पं. संतोष कुमार जैन अमृत ने कहा आत्मा के मृदु भावों को आर्जव कहते हैं। ऋजुता, मृदुता और शुचिता मानव जीवन में धर्म के मूल आधार हैं। मनुष्य के विचार व्यवहार में सहजता सरलता होना चाहिए, लेकिन मान कषाय के कारण वह इस स्वभाव को खोता जा रहा है। अभिमान के साथ आत्मा का भान नहीं हो सकता, जैसे बिना झुके कुएँ से बाल्टी में शीतल जल नहीं आता वैसे ही बिना झुके आत्मा की शुद्ध परिणति प्राप्त नहीं हो सकती। मैं ज्ञाता दृष्टा चैतन्य ध्रुव आत्मा हूँ जो अनंत चतुष्टय और रत्नत्रय से सुशोभित है। वासुपूज्य दिगम्बर जैन मंदिर में सांगानेर से पधारे सजल भैया भगवां ने कहा आज मान कषाय छोड़कर मार्दव धर्म को अंगीकार करने का अवसर आया है। हमें ज्ञान पूजा कुल जाति बल तप धन और रूप इन आठ प्रकार के अभिमान को छोड़ना होगा। अनंत बल तो हमारी आत्मा में है, जिसके द्वारा आठ कर्मों से लड़कर सिद्धत्व को प्राप्त कर सकते हैं। अंजुलि के पानी की तरह हमारा बल यौवन क्षीण होता जाता है, फिर उस पर कैसा अभिमान करना? मान कषाय विष के समान है, विनय के बिना हमारा कल्याण नहीं हो सकता। अंत में भारतीय जैन मिलन बहुमण्डल एवं वासुपूज्य जिनालय शाखा के संयुक्त तत्वाधान में प्रश्नमंच का आयोजन किया गया। रविवार को लोभ कषाय छोड़कर उत्तम शौच की आराधना एवं भगवान पारसनाथ स्वामी की विशेष पूजन अर्चना की जाएगी। कार्यक्रम में सकल दिगम्बर जैन समाज का सक्रिय सहयोग रहा। संचालन अनिल जैन एवं आभार व्यक्त हितेंद्र पवैया और विशाल जैन पवा ने संयुक्त रूप से किया।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

Post a Comment

Previous Post Next Post