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भारतीय ज्ञान परंपरा उदार होकर नवाचारों को समाहित करती है - प्रो. प्रजापति


भारतीय ज्ञान परंपरा उदार होकर नवाचारों को समाहित करती है - प्रो. प्रजापति 

मंदसौर कॉलेज में भारतीय ज्ञान परंपरा के आधुनिक संदर्भ विषय पर हुई व्याख्यान माला 

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट 

मंदसौर । प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस मंदसौर के श्री कुशाभाऊ ठाकरे प्रेक्षागृह में  "भारतीय ज्ञान परंपरा: आधुनिक संदर्भ" विषय पर एक व्याख्यानमाला का आयोजन महाविद्यालयीन स्टडी क्लब, भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (मालवा प्रांत) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। 

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के खगोल भौतिकी के प्रोफेसर रामप्रसाद प्रजापति एवं मुख्य वक्ता शिक्षाविद श्री ओमप्रकाश  शर्मा रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर जे.एस. दुबे ने की। 

व्याख्यान माला का प्रारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप-दीपन से हुआ। आगंतुक अतिथियों का महाविद्यालय परिवार की ओर से पुस्तक भेंट कर स्वागत किया गया।  

इस अवसर पर स्टडी क्लब की संयोजक डॉ. ललिता लोधा ने स्वागत भाषण दिया। न्यास के प्रांत संयोजक  श्री रामसागर मिश्रा ने  शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का परिचय दिया । राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन एवं भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रचार-प्रसार में न्यास अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर रामप्रसाद प्रजापति ने अपने व्याख्यान में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा प्राचीन काल से ही उदार रही है जो नवाचारों एवं नवीन विचारों को समाहित करने की क्षमता रखती है। आपने अनेक उदाहरणों एवं उद्धरणों के साथ भारत के प्राचीन ग्रंथो में वर्णित सिद्धांतों और वैज्ञानिक प्रयोगों को पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुत किया। आपने पंच-महाभूतों के सिद्धांत, ब्रह्मांड की उत्पत्ति से संबंधित भारतीय ज्ञान, वैदिक गणित में वर्णित बीजगणित एवं ज्यामिति के सिद्धांतों एवं भारत के महान ऋषियों के योगदान को रेखांकित किया। ऋषि कणाद, वराह मिहिर, ब्रह्मगुप्त, आर्यभट्ट, भास्कर, महावीराचार्य इत्यादि महापुरुषों के कार्यों पर चर्चा की। 

मुख्य अतिथि  श्री ओमप्रकाश शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी संस्कृति, विरासत एवं मातृभाषा पर स्वाभिमान एवं गर्व की अनुभूति होना चाहिए। आपने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि हमें अपने हस्ताक्षर अपनी मातृभाषा में प्रारंभ करने की आदत डालनी चाहिए। आपने इस बात को भी रेखांकित किया कि जिस प्रकार हम समस्त तीज-त्यौहार भारतीय पंचांग के अनुसार निर्धारित तिथियों को मनाते हैं, उसी प्रकार हमें अपने जन्मदिन एवं जन्मोत्सवों को भी तिथियां के संदर्भ में ही मनाना चाहिए। पर्यावरण संरक्षण का महत्व बताते हुए आपने कहा कि दैनिक जीवन में हमें विभिन्न छोटे-छोटे संकल्प लेने चाहिए, जैसे कि पानी का सदुपयोग, प्लास्टिक का उपयोग रोकना तथा अन्न के दुरुपयोग को रोकना इत्यादि। मोबाइल के बढ़ते उपयोग एवं विद्यार्थियों के साथ साथ बच्चों पर इसके नकारात्मक प्रभाव को लेकर भी आपने चिंता व्यक्त की। 

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. जे एस. दुबे ने आयोजित व्याख्यानमाला को महाविद्यालय की उपलब्धि बताते हुए कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि विद्यार्थीगण एवं प्रत्येक व्यक्ति भारतीय दर्शन एवं सिद्धांतों को गहराई तथा उत्सुकता से देखे एवं समझने का प्रयास करे। अपने उद्बोधन में ऋग्वेद का संदर्भ देते हुए आपने परम पुरुष के अस्तित्व के सिद्धांत से उपस्थितजनों को परिचित करवाया। बड़े ही रोचक एवं प्रेरणादाई तरीके से आपने विद्यार्थियों को समझाया कि आज जियो टैगिंग का जो प्रचलन है वह हमारे संस्कारों में सदा से ही विद्यमान है। हम प्रत्येक शुभ कर्म से पूर्व सदियों से मंत्रों के द्वारा संकल्प लेते आ रहे हैं जिसमें हम सटीक जियो टैगिंग का उपयोग देख सकते हैं। उदाहरण के लिए क्षेत्र की स्थिति, समय, वार, तिथि, नक्षत्र कर्ण, योग आदि के साथ ही स्वयं के गोत्र, माता-पिता आदि का परिचय देने के पश्चात ही हम किसी शुभ कर्म का संकल्प लेते हैं। 

कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन महाविद्यालय की भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ. प्रीति श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में न्यास के प्रकाशन "ज्ञान कुंभ - प्रयागराज" के संकल्प पत्र का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन अंग्रेजी विभाग की डॉ. द्युति मिश्रा ने किया। 

इस अवसर पर महाविद्यालय विद्यार्थियों के साथ शिक्षाविद, साहित्यकार एवं विभाग के अधिकारियों सहित व्याख्याताओं की उपस्थिति रही ।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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