महाशिवरात्रि
शिव और शक्ति का कोई
ब्याह रचा रहा है ,,
हमको तो दर्शनों का आनंद आ रहा है,,
1. सुरलोक के कमल दो धरती पर खिल रहे हैं,
मेरी मैया और बाबा धरती पर मिल रहें हैं,,
संगम ये कैसा प्यारा मन को लुभा रहा है,,
हमको तो दर्शनों का आनंद आ रहा हैं
2.इनकी निगाह में बिजली
उनकी निगाह में जादू,,
हम भी हुए हैं घायल दिल पर नहीं काबू,,
दोनो का ये नजारा ,,दुनियां में छा रहा है
हमको तो दर्शनों का आनंद आ रहा हैं
3.फागुन की ये बहारें भक्तों की है कतारे ।
भगवन पर सब फिंदा हैं, बसंती है बहारें।
ब्रम्हांड ऊं मयहो शक्ति बढा़ रहा हैं
- सविता बांगड़ सुर भोपाल
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काव्य