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काव्य : क्षमा सुधा अब मन आये.इंजिनियर अरुण कुमार जैन फरीदाबाद


 

क्षमा सुधा अब मन आये.


पर्व है होली नेह,प्रेम का, कटुता दूर भागने का.

वैमनस्य की कुटिल गांठ को, ज्वाला में जलवाने का.

काम, क्रोध, भय जो विकार हैं, आओ मन से साफ करें,

नेह, प्रेम, सहयोग नीर से,

मन आँगन निर्मल कर लें.

आलस्य, लापरवाही मन की,

उत्साह सरोवर में धो लें,

हर्ष, नेह, अनुराग सुमन अब,

मैत्री  बगिया  से  ले  लें.

हिंसा क्रोध की दावानल पर,

क्षमा सुधा अब आ जाये.     

रोग,शोक,अवसाद की चादर,

ऊर्जा समीर से हट जाये.

आशा, सम्बल का रवि प्रेरक,

दिव्य चेतना मन लाये.

प्रखर अरुणमा नव उषा की,

गीत प्रगति का दुहराये.

झरने,सरिता,खग,मृग मिलकर, ऊर्जालय संचार करें,

धरा, गगन, सागर, जड़, चेतन,

नवयुग में मिल साथ रहैं.

-इंजिनियर अरुण कुमार जैन

फरीदाबाद, हरियाणा.


देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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