हनुमान जी की तरह हर हताश व निराश व्यक्ति यदि अपने मन को एकाग्र कर श्रेष्ठ विचारों की सर्वोच्च छलांग लगा दे तो उसका जीवन धन्य हो सकता है - प्रोफेसर सरोज गुप्ता
श्रीमती निधि चौबे ने सागर नगर के प्रसिद्ध वृंदावन बाग मठ के प्राचीन इतिहास , चित्रकूट से आये श्री गूदड़ बाबा की सिद्धियों, वहां घटित होने वाले चमत्कारों की रहस्यमयी जानकारियां प्रदान की
वृंदावन बाग मठ में रामायण केंद्र सागर द्वारा आयोजित रामायण में सुंदरकांड की महत्ता - विषय पर केन्द्रित परिसंवाद कार्यक्रम सम्पन्न
सागर।
रामायण केन्द्र इकाई सागर द्वारा परिसंवाद कार्यक्रम *रामायण में सुन्दरकाण्ड की महत्ता* विषय पर आयोजित किया गया । सरस्वती वंदना श्रीमती आंचल गुप्ता ,डॉ संगीता सुहाने द्वारा राम स्तुति एवं भजन श्रीमती सावित्री तिवारी, श्रीमती पुष्पा गुप्ता ,श्रीमती पूनम मेवाती द्वारा तथा हनुमान जी का स्तवन श्रीमती हीरामणि विश्वकर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम की संयोजक श्रीमती निधि चौबे एवं आयोजक श्रीमती शशि दीक्षित रहीं । इस अवसर पर विषय प्रवर्तक प्रोफेसर सरोज गुप्ता ने कहा कि सुन्दरकाण्ड में सीता जी की खोज करते हुए हनुमान जी ने चार सौ कोस के समुद्र को लांघ कर तथा मैनाक पर्वत पर छलांग लगा कर यह सिद्ध कर दिया कि हर हताश व निराश व्यक्ति यदि अपने मन को एकाग्र कर श्रेष्ठ विचारों की सर्वोच्च छलांग लगा दे तो उसका जीवन धन्य हो सकता है जीवन की सारी परेशानियां दूर हो सकती हैं।
मुुख्य अतिथि डॉ ज्योति चौहान जी ने कहा कि सुंदरकाण्ड हमें सिखाता है कि विषम परिस्थितियों का सामना कैसे करें , हनुमान जी ने मच्छर जितना छोटा रूप धरकर लंका में प्रवेश किया ,जो हमें यह सिखाता है कि अनजान जगह और अनजान लोगों के बीच में जब हम जाएं तो हमें अपना प्रभुत्व नहीं दिखाना चाहिए ,एकदम लघु रुप में अथवा सादगी से जाना चाहिए क्योंकि पता नहीं वहां हमारे साथ कैसा व्यवहार होने वाला है ,फिर वहां जाकर परिस्थिति अनुसार अपना प्रभुत्व, अपना बल ,अपनी सामर्थ्य दिखाना चाहिए। हनुमान जी के श्रीलंका पहुंचने पर ज्यादातर घटनाएं सुंदर पर्वत पर घटित हुई हैं, इसलिए सुन्दरकाण्ड सुन्दर है।संयोजक विदुषी श्रीमती निधि चौबे ने सुन्दरकाण्ड में वर्णित श्रीराम की विजय साथ ही हनुमान जी द्वारा किये गये कार्यों की व्याख्या बहुत सुंदर तरीके से की तथा सागर नगर के प्रसिद्ध वृंदावन बाग मठ के प्राचीन इतिहास , चित्रकूट से आये श्री गूदड़ बाबा की सिद्धियों, वहां घटित होने वाले चमत्कारों की रहस्यमयी जानकारियां प्रदान की । सुंदरकांड पर केन्द्रित बहुत ही ज्ञानवर्धक और ओजस्वी व्याख्यान दिया ।रामायण केंद्र इकाई के अध्यक्ष पं. प्रमोद चौबे जी ने कहा भक्ति की खोज इंसान को सुंदर बना देती है और हनुमान जी की भक्ति स्वरूपा सीता माता की खोज उन्हें महान बना देती है। इसलिए इस कांड को सुंदरकांड कहा जाता है । पं.छवि दर्शन पाराशर जी ने कहा कि सुंदरकांड हमें सिखाता है कि जब बल आ जाए तब विवेक बहुत जरूरी है वर्ना बल का घमंड आ जाता है, हनुमान जी बल और ज्ञान के प्रतीक है ,सुंदरकांड में सुंदर पर्वत इस बात का द्योतक है कि समाज और घर के दुर्गम काज और विषम परिस्थितियां भी पर्वत हैं, जो हमारे मार्ग को अवरुद्ध करती हैं , भक्ति के मार्ग में आपदाएं केवल राक्षस ही नहीं अपितु देवता भी प्रकट करते हैं, सुरसा इसी बात का प्रतीक है। रामायण केन्द्र सागर की सचिव और कार्यक्रम की आयोजिका श्रीमती शशि दीक्षित ने कहा कि सुंदरकांड की हर एक घटना शिक्षाप्रद है यदि हम सुंदरकांड को अपने जीवन में उतार लें तो हमारा संपूर्ण जीवन सुंदर बन सकता है । श्रीमती राजश्री दवे ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को सुंदर कांड में हनुमान जी से जीवन प्रबंधन के सूत्र सीखने की आवश्यकता है और उनके चरित्र को आत्मसात करने की, जिससे हम भारत को राष्ट्रवाद सरीखे उच्चतम नैतिक मूल्यों के साथ कौशल युक्त भी बना सकें। श्रीमती मनीषा मिश्रा ने कहा कि राम चरित मानस ग्रंथ में सुंदरकांड एक साथ धर्मशास्त्र नीतिशास्त्र समाजशास्त्र दर्शनशास्त्र राजनीति साहित्य और महाकाव्य तो है ही साथ में जीवन की विविध भावनाओं का मनोविज्ञान भी है अंतः यह कलयुग के पाप ताप संताप को हरने वाली है और जन जन के लिए उपयोगी है। श्रीमती नीलिमा दीक्षित, श्रीमती नारायणी सिसौदिया,श्रीमती सविता साहू,पं.बृजेश पाठक ,श्री नीलेश गुप्ता आदि अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम को अत्यधिक सार्थक बनाया।