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काव्य : मेरी कविता में समाओ माँ - डॉ ब्रजभूषण मिश्र,भोपाल


 

मेरी कविता में समाओ माँ


मैं छुप जाता था जैसे तेरे आँचल में

तूँ लेती थी बचा,हर वर्षा और बादल में

मुझे  न भूखा रहने देती,मेरी हर पीड़ा हर लेती

वैसा ही कुछ कर जाओ माँ, मेरी कविता में तुम समाओ माँ


तूनें मुझे प्रेम से बाँधा

तुझ बिन मैं हर दिन हूँ आधा

मेरे घाव,मेरे आँसू, तुम पल्लू से पोछ जाओ माँ

मेरी कविता में तुम समाओ माँ


जीवन तुझसे,प्राण है तुझ से

जीवन का हर,आँगन तुझ से

तूनें पिलाया, दूध का अमृत,तुम खुशियों के आँसू ,बहाओ माँ

मेरी कविता मे समाओ माँ


मैं जानूँ तूँ, साथ सदा है

कभी न मुझसे,तूँ जुदा है

अक्षर,शब्दों में तूँ है मेरे, फिर अहसास दिलाओ माँ

मेरी कविता में तुम समाओ माँ


क्या कभी तुझे ,बेटा लिख सकता

क्या तेरा रूप ,कोई दिख सकता

हर मन जाने,ये है नामुमकिन

इसको ,मुमकिन कर जाओ माँ

मेरी कविता में समाओ माँ


- डॉ ब्रजभूषण मिश्र,भोपाल

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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