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शासकीय कन्या महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा उत्सव के द्वितीय दिवस पर हुए बौद्धिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम


 

शासकीय कन्या महाविद्यालय में गुरु पूर्णिमा उत्सव के द्वितीय दिवस पर हुए बौद्धिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम

इटारसी । शासकीय कन्या महाविद्यालय, इटारसी में गुरु पूर्णिमा उत्सव के द्वितीय दिवस पर बौद्धिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ कुमकुम जैन एवं हिंदी के पूर्व प्राध्यापक डॉ. श्रीराम निवारिया उपस्थित हुए। कार्यक्रम का प्रारंभ विद्या की देवी मां सरस्वती के पूजन व वंदना के साथ किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर. एस. मेहरा ने स्वागत उद्बोधन में कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि शैक्षणिक जगत में ज्ञान का हस्तांतरण अत्यंत महत्वपूर्ण है। गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाने की परंपरा ज्ञान को संरक्षित करने और पीढियो तक स्थानांतरित करने के महत्व पर जोर देती है। महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉ कुमकुम जैन ने ध्यान एवं योग को मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक बताया। आपने कहा कि ध्यान न केवल तनाव व चिंता को कम करता है, बल्कि मानसिक शांति, एकाग्रता, आत्म मूल्यांकन एवं आत्म जागरूकता को बढ़ाता है। योग शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। डॉ. श्रीराम निवारिया ने कहा कि हमें गर्व है कि हम अनंत गौरव की स्वामिनी भारतीय संस्कृति के वंशज हैं जिसके महान गुरुओं ने सदैव दम तोड़ती मनुष्य जाति को अनुप्राणीत किया है। अपने गौतम बुद्ध, कबीर, विवेकानंद जैसी आत्मज्ञान संपन्न दिव्या विभूतियों के संदेशों को जीवन का आधार बनाने का संकल्प भी दिलाया। डॉ हरप्रीत रंधावा ने कहा कि  गुरु नानक देव जी की तीन बड़ी शिक्षा खुशहाली से जीने का मंत्र देती हैं। ये शिक्षा है- नाम जपो, किरत करो और वंड छको। यह सीखें कर्म से जुड़ी हुई हैं। कर्म में श्रेष्ठता लाने की ओर ले जाती हैं। यानी मन को मजबूत, कर्म को ईमानदार और कर्मफल के सही इस्तेमाल की सीख देती हैं। ये एकाग्रता-परोपकार की ओर भी ले जाती हैं । कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ. शिरीष परसाई ने आधुनिक शिक्षा प्रणाली में नवाचार की भूमिका एवं उसकी आवश्यकता विषय का प्रवर्तन करते हुए कहा कि बदलते समय के साथ शिक्षा प्रणाली को अद्यतन करने की आवश्यकता है। नवाचार शिक्षा को अधिक प्रासंगिक और उपयोगी बनता है। डिजिटल शिक्षा , ऑनलाइन कोर्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता , मशीन लर्निंग का प्रयोग, शिक्षा में विशेषज्ञता ,व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं व्यक्तिगत शिक्षा जैसे नवाचारों को अपनाकर हम शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी, आकर्षक और भविष्य के लिए तैयार कर सकते हैं । डॉ हर्षा शर्मा ने आभार प्रदर्शित करते हुए कहा कि आत्मज्ञान की पूंजी को सुपात्र तक पहुंचने में गुरु शिष्य परंपरा एक दिव्या सोपान है। महाविद्यालय की छात्रा काशिफा खान और हेमा पटेल ने नृत्य के माध्यम से गुरु वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम में डॉ हरप्रीत रंधावा, डॉ हर्षा शर्मा ,श्री स्नेहांशु सिंह,, श्री रविंद्र चौरसिया, श्रीमती पूनम साहू,  डॉ शिरीष परसाई, डॉ संजय आर्य, डॉ. शिखा गुप्ता, डॉ श्रद्धा जैन, डॉ नेहा सिकरवार, श्री एन आर मालवीय , करिश्मा कश्यप, प्रिया कलोसिया, क्षमा वर्मा, तरुणा तिवारी, हेमंत गोहिया, श्रीमती शोभा मीणा श्री राजेश कुशवाहा एवं छात्राएं उपस्थित थी।

-डॉ. आर. एस. मेहरा,प्राचार्य

         

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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