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काव्य ; नवगीत : भूख के भजन - भीमराव 'जीवन' बैतूल


 काव्य ; नवगीत : भूख के भजन


सत्ता की सड़कों पर फिसल रहें मन।

और अधिक मेघ नहीं बरसाओं धन।।


लूट गये व्यापारी खेत की तिजोरी। 

पेट ये बखारी-सा भर न सका होरी। 

धनिया के माथे की, बढ़ रही थकन।।


छूट गई फूलों के हाथों की डोरी। 

बाँध गए अंटी में नोट सब सटोरी।।

महँगा है आज सखे मौत से कफ़न।।


काट गई है कैंची, प्रीति की सिलाई।

टीस रही पंछी को, धर्म की चिनाई।।

थोप दिए हैं मन पर, भूख के भजन।। 


- भीमराव 'जीवन' बैतूल

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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