सरोकार साझा मंच ने अंतर्राष्ट्रीय परी दिवस पर जून माह की मासिक गतिविधि आयोजित की
इंदौर । सरोकार साझा मंच की अंतर्राष्ट्रीय परी दिवस पर जून माह की मासिक गतिविधि आयोजित की गयी। 'काश मैं परी होती तथा परीलोक की कथा इसकी व्यवसायिक संभावनाओं '
पर रचनाकारों ने काव्य, कहानी और संस्मरण के रूप में रचनाएँ प्रस्तुत कीं । अध्यक्ष महिमा शुक्ला ने सभी रचनाकारों का स्वागत करते हुए 'परीलोक :सच या फ़साना' - पर विचार प्रस्तुत किये।
डॉ मनोरमा पांडे ने परियों के बारे में उत्कृष्ट जानकारी देते हुए इसे एक व्यवसाय के रूप में डालने का विचार साझा किया। करूणा प्रजापति ने व्यावसायिक क्षेत्र पर विस्तृत जानकारी दी।
सरिता बघेला 'अनामिका' ने-' बेटी का पिता से संवाद' पत्र शैली में प्रेषित किया।
हेमा रावत ने पोती में परी तलाशता संस्मरण सुनाया। अमिता मराठे ने परीलोक कल्पना या सच पर प्रकाश डाला। कविता चौहान ,गायत्री ठाकुर, अनिता झा ,डॉ. अर्चना त्रिवेदी ने कल्पना में स्वयं को परी बन सुखद संसार की कल्पना की।
सरला मेहता ने संस्मरण व कहानी सुनाकर सबको आनंदित किया।
वंदना मिश्रा ने नैतिक मूल्यों व आत्मसम्मान पर आधारित , महिमा शुक्ला ने परीलोक के जादई संसार ,आशा मुंशी ने प्रेरक कहानी प्रस्तुत की। मंजु सिंह और अर्चना पंडित ने काव्य के माध्यम से स्मृति में परी को वर्णन किया। वंदना शर्मा ने बालपन की यादों में से तिलिस्मी परी को मां,बहन व सहेलियों की ममता में खोजा। अंजली दीवान ने परियों की मदद करने वाले गुण से ओतप्रोत कहानी, मृदुला शर्मा ने अनोखे अंदाज में परी कल्पनाको नकार कर यथार्थ में उतारने का प्रयास किया। अनीता झा - डॉ गिरिजेश सक्सेना ने अपनी यादों की भावुक प्रस्तुति दी। प्रियंका श्रीवास्तव ने परी की रोमांचक यात्रा पर विचार प्रस्तुत किये।
यह आयोजन साहित्य के माध्यम से कल्पना, मानवीय भावनाओं और सामाजिक मूल्यों का अद्भुत संगम रहा। परियों के माध्यम से जीवन की विविध भावनाओं, संवेदनाओं और संभावनाओं को रचनाकारों ने अपनी रचनात्मक दृष्टि से प्रस्तुत किया।
अंत में अर्चना त्रिवेदी ने सदस्यों के रचनात्मक सहयोग के प्रति आभार प्रदर्शन किया।
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महिमा शुक्ला
9589024135
इंदौर ( मप्र)