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♦️पर्व विशेष - रक्षाबन्धन रक्षाबन्धन पर्व - दुर्लभ योग और शुभ संयोग के साथ आया


 ♦️पर्व विशेष - रक्षाबन्धन

रक्षाबन्धन पर्व - दुर्लभ योग और शुभ संयोग के साथ आया 

शोभन और सिद्ध योग से पर्व शुभ

( डॉ घनश्याम बटवाल , मंदसौर )

 शिव आराधना का पवित्र पावन श्रावण मास समापन पर मनाया जाता है भाई - बहनों के स्नेह- प्रेम के प्रतीक पर्व रक्षाबंधन

इस बार 19 अगस्त सोमवार को है यह त्यौहार । इस बार रक्षा पर्व  पर दुर्लभ एवं शुभ संयोगों की श्रृंखला भी बन रही है जो कि लाभदाय‍क साबित होगी। यह वैदिक और ज्योतिष गणनाके आधार पर बताया है ज्योतिर्विद पंडित राघवेंद्र रवीशराय गौड़ ने । सावन मास समाप्ति पर विधि पूर्वक श्रावणी कर्म वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कर मासिक अनुष्ठान किया जाने का विधान है ।

पंडित राघवेंद्र रविशराय गौड़ के अनुसार

रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. पूर्णिमा तिथि इस बार 19 अगस्त की सुबह 3 बजकर 04 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 19 अगस्त की रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगा.

🔸रक्षाबंधन में बन रहे तीन योग

'रक्षाबंधन इस बार 19 अगस्त को है, इस रक्षाबंधन में तीन-तीन विशेष संयोग भी मिल रहे हैं. पहला है शोभन योग, दूसरा है सिद्ध योग, तीसरा है श्रावण सोमवार की समाप्ति. इस सावन महीने का पांचवां और आखिरी सोमवार, इस दिन है. उमा महेश्वर का दिन भी है. इस दिन तीन-तीन योग बनने के कारण रक्षाबंधन का ये त्योहार और विशेष माना गया है.''

(शोभन योग का महत्व-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शोभन योग को शुभ कार्यों और यात्रा पर जाने के लिए उत्तम माना गया है। मान्यता है कि इस योग में शुरू की गई यात्रा मंगलमय एवं सुखद रहती है।) 

यह भी बताया गया कि  शुभ और दुर्लभ योग संयोग 90 वर्ष बाद आया है ।

🔸भद्रा का साया

पंचांग के अनसार, 19 अगस्त की रात 2 बजकर 21 मिनट पर भद्रा लग जाएगी. सुबह 09 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 53 मिनट तक पर भद्रा पुंछ रहेगा. फिर, सुबह 10 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक भद्रा मुख रहेगा. इसके बाद, भद्रा का समापन दोपहर 1 बजकर 30 पर होगा.

19 अगस्त को दोपहर 1 बजकर 30 मिनट के बाद ही राखी बांधी जा सकती है.    

🔸राखी बांधने के शुभ मुहूर्त 

19 अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त 

दोपहर 1 बजकर 43 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 20 मिनट तक रहेगा, आप उसमें राखी बंधवा सकते हैं. राखी बांधने के लिए कुल आपको 2 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा,

इसके अलावा, आप शाम के समय प्रदोष काल में भी भाई की कलाई पर राखी बांध सकती हैं. इस दिन शाम 06 बजकर 56 मिनट से रात 09 बजकर 07 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा.

🔸वेदिक रक्षा सूत्र-

रक्षासूत्र मात्र एक धागा नहीं बल्कि शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पुलिंदा है । यही सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद्भाव सहित शुभ संकल्प करके बाँधा जाता है तो इसका सामर्थ्य असीम हो जाता है।

     प्रतिवर्षश्रावणी-पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्यौहार होता है, इस दिनबहनें अपने भाई को रक्षा-सूत्र बांधती हैं । यह रक्षासूत्र यदि वैदिक रीति से बनाई जाए तो शास्त्रों में भी उसका बड़ा महत्व है ।

🔸कैसे बनायें वैदिक राखी ?

वैदिक राखी बनाने के लिए सबसे पहले एक छोटा-सा ऊनी, सूती या रेशमी पीले कपड़े का टुकड़ा लें।

(१) दूर्वा

(२) अक्षत (साबूत चावल)

(३) केसर या हल्दी

(४) शुद्ध चंदन

(५) सरसों के साबूत दाने

इन पाँच चीजों को मिलाकर कपड़े में बाँधकर सिलाई कर दें । फिर कलावे से जोड़कर राखी का आकार दें । सामर्थ्य हो तो उपरोक्त पाँच वस्तुओं के साथ स्वर्ण भी डाल सकते हैं।

वैदिक राखी का महत्त्व

वैदिक राखी में डाली जानेवाली वस्तुएँ हमारे जीवन को उन्नति की ओर ले जानेवाले संकल्पों को पोषित करती हैं 

🔸इन बातों का रखें विशेष ध्यान

रक्षाबंधन के दिन भाई के दाहिने हाथ पर राखी बांधना शुभ माना जाता है। दाहिना हाथ या सीधा हाथ जीवन के कर्मों का हाथ कहा गया है और मनुष्य के दाहिने हिस्से में देवताओं का वास भी माना गया है। 

कहा जाता है कि दाहिने हाथ से किए गए दान और धार्मिक कार्यों को भगवान जल्दी स्वीकार कर लेते हैं, इसलिए धार्मिक कार्यों के बाद कलावा आदि भी दाहिने हाथ पर बांधा जाता हैं।

🔸रक्षासूत्र बाँधते समय बोले जाने वाले श्लोक -

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।

तेन त्वां अभिबध्नामि१ रक्षे मा चल मा चल।।

ओम यदाबध्नन्दाक्षायणा हिरण्यं, शतानीकाय सुमनस्यमाना:। तन्मSआबध्नामि शतशारदाय, आयुष्मांजरदृष्टिर्यथासम्।।

इस मंत्रोच्चारण व शुभ संकल्प सहित वैदिक राखी बहन अपने भाई को, माँ अपने बेटे को, दादी अपने पोते को बाँध सकती है 

♦️रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व 

🔸राजा बलि और माँ लक्ष्मी

 भगवत महापुराण और विष्णु पुराण के आधार पर यह माना जाता है कि जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को हरा कर तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया, तो बलि ने भगवान विष्णु से उनके महल में रहने का आग्राह किया. भगवान विष्णु इस आग्रह को मान गये. हालाँकि भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी को भगवान विष्णु और बलि की मित्रता अच्छी नहीं लग रही थी, अतः उन्होंने भगवान विष्णु के साथ वैकुण्ठ जाने का निश्चय किया. इसके बाद माँ लक्ष्मी ने बलि को रक्षा धागा बाँध कर भाई बना लिया. इस पर बलि ने लक्ष्मी से मनचाहा उपहार मांगने के लिए कहा. इस पर माँ लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को इस वचन से मुक्त करे कि भगवान विष्णु उसके महल मे रहेंगे. बलि ने ये बात मान ली और साथ ही माँ लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में भी स्वीकारा।

🔸यम और यमुना सम्बंधित कथा

एक ओर अन्य पौराणिक कहानी के अनुसार, मृत्यु के देवता यम जब अपनी बहन यमुना से 12 वर्ष तक मिलने नहीं गये, तो यमुना दुखी हुई और माँ गंगा से इस बारे में बात की. गंगा ने यह सुचना यम तक पहुंचाई कि यमुना उनकी प्रतीक्षा कर रही हैं. इस पर यम युमना से मिलने आये. यम को देख कर यमुना बहुत खुश हुईं और उनके लिए विभिन्न तरह के व्यंजन भी बनायीं. यम को इससे बेहद ख़ुशी हुई और उन्होंने यमुना से कहा कि वे मनचाहा वरदान मांग सकती हैं. इस पर यमुना ने उनसे ये वरदान माँगा कि यम जल्द पुनः अपनी बहन के पास आयें. यम अपनी बहन के प्रेम और स्नेह से गद गद हो गए और यमुना को अमरत्व का वरदान दिया. भाई बहन के इस प्रेम को भी रक्षा बंधन के दिन याद किया जाता है.

🔸कृष्ण और द्रौपदी की कथा :

महाभारत युद्ध के समय द्रौपदी ने कृष्ण की रक्षा के लिए उनके हाथ मे राखी बाँधी थी. इसी युद्ध के समय कुंती ने भी अपने पौत्र अभिमन्यु की कलाई पर सुरक्षा के लिए राखी बाँधी.

सर्वे भवन्तु सुखिनः

नारायण नारायण

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देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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