काव्य :
तर्पण
तृप्ति देता तर्पण
संतुष्टि देता तर्पण
पूर्वजों को मुक्ति भी,
जल का ये अर्पण
ये सम्मान,श्रद्धा भाव है
स्वर्गीय पितरों, प्रति
है,पूजन आत्मा की मोक्ष का
देता, हमें भी संतुष्टि
निज धर्म को,समुचित जाने हम
संस्कार,सत्य पहचाने हम
घर के वृद्ध जन को भी पूर्ण प्यार दें
*ब्रज*,उनके सुखी जीवन हेतु,स्वयं को वार दें
वृद्ध जीवित जन के प्रति
हो जब, तन मन से समर्पण
तब ही पितृ पक्ष में ये
समझें, है सफल तर्पण
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल
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