पूर्व प्रोफेसर डॉ.आनंद सिंह का व्याख्यान आयोजित हुआ
सागर । डॉक्टर हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्विद्यालय सागर में हिन्दी विभाग के आचार्य नंददुलारे वाजपेयी सभागार में हिन्दी पखबाड़ा के अंतर्गत उच्चशिक्षा उत्कृष्टता संस्थान भोपाल के पूर्व प्रोफेसर डॉ.आनंद सिंह का व्याख्यान आयोजित हुआ एवं सत्यदेव ग्रुप ऑफ कॉलेजेज की निदेशक डॉ. सुमन सिंह जी द्वारा "कौनसी सड़क जाएगी बांदा" कहानी का पाठ किया गया। व्याख्यान भारतीय ज्ञान परंपरा पर केंद्रित रहा जिसमें उन्होंने सर्वप्रथम डॉ. गौर को नमन करते हुए अपनी बात रखी, व्याख्यान ने पूरे समय तक श्रोताओं को बांधे रखा,डॉ.सिंह की ओजस्वी वकतव्य शैली जिसके लिए वे जाने जाते हैं,से व्याख्यान परिपूर्ण था। श्रोता उनके वकतव्य में ऐसे मुग्ध हुए कि दो घंटे तक कक्ष से कोई हिला तक नहीं। उन्होंने अपने वकतव्य में भारतीय ज्ञान परंपरा को बड़ी प्रभावी शैली में श्रोताओं के समक्ष रखा। डॉ.सिंह ने कहा कि "परम्परा का गुण धर्म है चयन धर्मा होना,भारतीय ज्ञान की परंपरा संवाद की परंपरा रही है। उन्होंने आगे कहा कि जिसे लोक ने सुधार लिया है,उसे शास्त्र को भी सुधार लेना चाहिए। जहां प्रेम का स्वर है वहां भारतीयता मौजूद है।" उनका पूरा व्याख्यान युवा मन को उत्साही बनाने वाला सिद्ध हुआ। इसके साथ ही उन्होंने स्वरचित महाकाव्य 'अथर्वा मैं वही वन हूं' पर भी अपनी बात रखी। उन्हें इसकी रचना में 26 साल का समय लगा। उन्होंने बताया कि प्राचीनता का समावेश करने के लिए अथर्वा गढ़ा है,कहानियों को कविता के रूप में अथर्वा में गूंथ दिया है। अन्योक्ति समासोक्ति परक विचलन गढ़ा है। इस दौरान हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो.आनंद प्रकाश त्रिपाठी की गरिमामयी उपस्थिति रही। साथ ही हिन्दी विभाग सहित वि.वि. विभागों के अध्यापकगण जिनमें प्रो.राजेन्द यादव,डॉ.संजय नाईनवाड़,डॉ.आशुतोष मिश्र ,डॉ.हिमांशु कुमार,डॉ.अफरोज बेगम,डॉ.अरबिंद कुमार,डॉ.रामहेत गौतम,डॉ.नौनिहाल गौतम डॉ.लक्ष्मी पाण्डेय,डॉ.अवधेश कुमार,श्री प्रदीप कुमार सौर एवं भारी संख्या में शोधार्थी विद्यार्थी उपस्थित रहे।