काव्य :
आँगन की तुलसी बेटियाॅं
1--घर के आंगन की तुलसी है बेटियाॅं।
माॅं के आंचल की तितली है बेटियाॅं।।
2--भगवान की अद्भुत वरदान है बेटियाॅं।
सनातन संस्कृति की शान है बेटियाॅं।।
3--माॅं- बाप की मान सम्मान है बेटियाॅं।
माॅं-बाप की इज्जत ईमान है बेटियाॅं।।
4--बेटों से कम नहीं आज हिंदुस्तान की बेटियाॅं ।
अवनि क्या छू रही आसमान भी बेटियाॅं ।।
5--रानी लक्ष्मीबाई दुर्गावती इंदिरा है बेटियाॅं ।
मन की ऑंखों से देखो हीरा है बेटियाॅं।।
6-- चमक रही देश और विदेश में बेटियाॅं ।
बड़े -बड़ों को पीछे करती रेस में बेटियाॅं।।
7--प्रेम ममता करूणा दया की स्वरूप बेटियाॅं।
महिषासुर के लिए दुर्गा काली की रूप बेटियाॅं ।।
8--बहन बेटी नारी माॅं के किरदार में बेटियाॅं।
सौम्या सलिला शोभा घर द्वार में बेटियाॅं।।
9-- सृष्टि की सबसे सुंदर सृजन बेटियाॅं।
आराधना साधना में भजन बेटियाॅं।।
10-- वर्णमाला की सबसे सुंदर शब्द बेटियाॅं।
स्वरों में सबसे सुंदर लफ्ज़ बेटियाॅं।।
11-- सृजन की आकार भिन्न बेटियां।
*जलेश्वरी* ब्रह्मांड शून्य बिन बेटियाॅं।।
- जलेश्वरी वस्त्रकार जयरामनगर
बिलासपुर छत्तीसगढ़