काव्य : ग़ज़ल
हुनरमन्दी सही से आज़माने की ज़रूरत है।
छुड़ा कारीगरी मालिक बनाने की ज़रूरत है।
हुक़ूमत बात सुनने के लिए तैय्यार है बैठी,
सवालों को सलीक़े से उठाने की ज़रूरत है।
क़दम हर एक उठना चाहिए उम्दा तरीके से,
वतनअपना सलीक़ेसे सजाने की ज़रूरत है।
बिनाजनता समर्थन के हुक़ूमतबन कहाँ सकती,
हुक़ूमत के लिएसबको ज़माने की ज़रूरत है।
भुनाना है बिना देरी हर इक मौका सलीक़े से,
नहीं मौक़ा ज़रा सा भी गँवाने की ज़रूरत है।
- हमीद कानपुरी,
अब्दुल हमीद इदरीसी,
मीरपुर, कैण्ट, कानपुर- 208004-
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