अगहन मास को मार्ग शीर्ष क्यों कहते हैं?:-
कार्तिक माह में शरद ऋतु के अंत के पश्चात शीत ऋतु का प्रारम्भ हो जाता है । इसीलिये कार्तिक माह के आगे आने वाले अगले माह को अग्रहायन कहते हुये मार्गशीर्ष कहते हैं ।
श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश देते हुये विभूति योग में कहा था कि :-
""मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतानां कुसुमाकर":।।
अर्थ :-महीनों में मार्गशीर्ष और ऋतुओं मे बसंत हू ।वर्ष के महीनों में सबसे उत्तम माह मार्गशीर्ष है जो मुझे सबसे प्रिय है ।
इस माह का प्रारम्भ मृगशिरा नाम के नक्षत्र से होने के कारण भी इसे मार्ग शीर्ष कहते हैं।
यह हेमंत ऋतु के आगमन की सूचना देने वाला वर्ष का नवम माह धरा का सृजन काल जिसमें। खेतों में फसलें लहलहा कर अद्भुत आनंद देती कृषक के मन को आनंदित कर देती हैं ।शुभ मंगल कार्यों के लिये भी यह माह सबसे उत्तम है । वैवाहिक कार्य भी इसी माह में सबसे अधिक होते हैं । इसकारण ही इसका दूसरा नाम सभी महीनो में शीर्ष स्थ होकर मार्ग शीर्ष कहते हैं ।
इस माह की दस विशेषतायें हैं :-
(१) सतयुग में देवताओं ने मार्गशीर्ष की प्रथम तिथि। को ही वर्ष का प्रारम्भ माना था ।
(२)इसी माह में कश्यप ऋषि ने सुंदर काश्मीर की रचना की थी ।इइसीलिये इस माह को महोत्सवों का माह कहा जाता है।
(३) अगहन महीने की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को प्रदोष व्रत प्रारम्भ करके कार्तिक शुक्ल द्वादशी को उसका पूजन करने से "जातिस्मर"अर्थात व्यक्ति को अपने पूर्व जन्म का स्मरण रहता है जिसके कारण वज्ह जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो मोक्ष पाता है ।
(४) भगवान दत्तात्रेय का जन्म मार्गशीर्ष पूर्णिमा को होने से इस माह दत्तात्रेय जयंती भी होती है (५)इसमाह की पूर्णिमा को चंद्रमा को सुधारस से सिंचित किया गया था ।
(६)इस माह को विष्णु को समर्पित होने से इसमें विष्णुसहस्रनाम ,भगवद्गीता ,एवं गजेन्द्र मोक्ष के
पाठ का विशेष महत्व है । श्रीमद्भागवत का भी अपना महत्व है ।
(७)इस माह गुरु एवं इष्ट के लिये "ऊँ दामोदराय नम:"का पाठ करने से जीवन के सभी अवरोध समाप्त होजाते हैं ।
(८)शंख प्रक्षालन कर उसमें तीर्थों का जल भर कर भगवान विष्णु की मूर्ती के ऊपर घुमाते हुये शंख का मंत्र बोलकर उस जल को पूरे। चर में छिड़कने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है ।
(९)अगहन मास को मार्ग शीर्ष कहने के पीछे श्री कृष्ण के विविध रूपों में से वह भी एक रूप है ।
(१०)इस माह गंगा स्नान अथवा तीर्थों मे स्नान कर दान पुण्य का आधिक महत्व है ।
इन सभी विशेषताओं के कारण इस माह को स्व भगवान श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष कहकर इसकी महत्ता को बतलाया है ।ओम दामोदराय नम:।
- उषा सक्सेना,भोपाल