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काव्य : मैं अटल हूँ - -डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' हिन्दीग्राम, इंदौर



काव्य :  

_कविकुल के नायक और हिन्दी के रणविजय योद्धा भारतरत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म शताब्दी के अवसर पर काव्य समर्पण।_ 


मैं अटल हूँ


मुझे पढ़ने वालों से 

मैं पढ़ा नहीं जाता हूँ,

सत्य संहिता में भी

गढ़ा नहीं जाता हूँ।


कृष्ण-कृष्णा सूत कहलाया

ग्वालियर से आता हूँ,

कानपुर से पढ़ लिख कर

मैं संघ से जाना जाता हूँ।


कविता करी, लिखे समाचार

फिर भी लिख न पाया कुछ,

लिखना था दीनदयाल पर

फिर अधूरा माना जाता हूँ।


लिखी कहानी पोखरण की

चतुर्भुज मैंने बना डाला,

यूएन में हिन्दी ही बोली

तो हिन्दी पुत कहलाता हूँ।


बनाया आपने भारत रत्न

उसमें कभी न कोमाता हूँ,

लिखता रहा विद्रोह मन का

विरोधी में विदेश मंत्री बन जाता हूँ।


सबको जोड़ा, साथ निभाया

पर साम–दाम न सिखलाता हूँ,

संसद की गरिमा के आगे

नतमस्तक हो जाता हूँ।


राजधर्म की बात बताता

भारत का परचम लहराता हूँ,

दिलों पर आपके राज करता

और दिलों में जगह बनाता हूँ।


लिखी पंद्रह अगस्त व्यथा

मैंने रार नहीं ठानी है,

अगस्त सोलह की सुबह

मैं उसमें समा जाता हूँ।


---डॉ. अर्पण जैन 'अविचल'

हिन्दीग्राम, इंदौर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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