काव्य : वफ़ा
चंद अशआर
वफ़ा की..... तहरीरें देख रहा है ।
वो मिरी...... तस्वीरें देख रहा है ।।
देख रहा हूँ...... रिश्तों का बंधन ।
वो इसमें...... ज़ंजीरें देख रहा है ।।
फ़ितूर........ रंजिशों का है ये सब ।
वो उठती हुई शमशीरें देख रहा है ।।
उसे पता है हाल सभी के दिल का ।
वो मालिक सबकी तक़दीरें देख रहा है ।।
सवार चाहत की कश्ती में " वासिफ़ " ।
समंदर में इश्क़ के जज़ीरे देख रहा है ।।
- डॉ. वासिफ़ काज़ी , इंदौर
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