ad

काव्य के विविध रंग बिखेरती काव्य चौपाल की एक शाम


 

काव्य के विविध रंग बिखेरती काव्य चौपाल की एक शाम

भोपाल। अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच मध्य प्रदेश इकाई  द्वारा आयोजित काव्य चौपाल गोष्ठी "एल्डर फर्स्ट सभागार, महाकाली सोसाइटी"  में संपन्न हुई। 

शेफालिका श्रीवास्तव एवं मधुलिका सक्सेना  के जन्म दिवस पर उन्हें पुष्पगुच्छ एवं  किताबें भेंट की गई।

फिर चला कविताओं का दौर जिसमें

मधुलिका सक्सेना ने "मैं बाँध समय को लेता हूँ"शेफालिका श्रीवास्तव ने शत शत नमन भरत भूमी को 

अभिनंदन भारत माँ को 

जिसके रजकण मात कर रहे मलयागिरी के चंदन को

चरणजीत सिंह कुकरेजा ने

"इक अवगुण के पीछे सारे, छुप जाते हैं गुण, संभल के चलना मानव जग में,कोई जाल रहा है बुन"

रानी सुमिता ने, "माँ तू देव 

तो भी होती विसर्जित, मैं मानव 

विसर्जनशील गुणों का 

घनीभूत  संवाहक..

संग लेती जा माँ

मेरा अज्ञानी अहम्

मेरा तेजहीन दर्प"

महिमा श्रीवास्तव वर्मा ने दोहा गीतिका :

छूलें उड़ाकर चाँद को,मन में थी या चाह

हौले -हौले रख कदम, पकड़ी थी वो राह

सुरेश पटवा ने नहीं बनना चाहती पुरुष ,

बनी रहना चाहती हूँ स्त्री ।

जो पुरूष को कोख से जन्म देकर, 

कभी इतराती नहीं।

     वरिष्ठ साहित्यकार गोकुल सोनी ने कुंभ के मेले के भ्रमण का आव्हान करते हुए पढ़ा "प्रवचन, घ्यान, धरम की बातें, सुनकर जीवन धन्य बना लो। एंसो सुंदर दृश्य बनो है, जैसे स्वर्ग धरा पे पा लो।।

छोड़ो सबई झमेला, चलो कुंभ को मेला।"

लखनऊ से पधारे डॉ.वशिष्ठ अनूप ने पढ़ा, "अगर कहना बहुत हो तो बहुत सा छूट जाता है 

मैं थोड़ा बोलता हूँ और ज़्यादा छूट जाता है" 

मनीष बादल ने 

तन को दस-दस रोग दे, मन में करती शोर।

'बादल' कहता है तभी, चिंता आदमख़ोर।।

जया आर्य ने मेले मे थे लोग कई, कुछ अपने थे कुछ बेगाने,

 फूलों का भी मेला था प्रभु चरणों में बिखरे थे 

राजेंद्र गट्टानी ने योग्यता बस भाव चेहरे का समझने की रखो 

मौन रहकर भी बहुत कुछ कह लिया करते हैं लोग 

संतोष श्रीवास्तव ने अपनी कविता "जिंदगी किस मोड़ पर लाई मुझे ,मैं किसे अपना कहूं किसको पुकारू सुना कर खूब तालियां बटोरी।

अन्य कवियों में

मृदुल त्यागी ,नीलिमा रंजन ,मनोरमा पंत,कमलकिशोर दुबे, ,,किशन तिवारी,दिनेश मेश्राम, मुजफ्फर सिद्दीकी,गौरव गुप्ता,सुभाष जाटव ने भी कविताओं की गीतों की शानदार प्रस्तुति दी। 

भगवान दास हिंदुस्तानी ने बांसुरी पर कहीं दूर जब दिन ढल जाए गीत सुनाया ।

इस आत्मीय गोष्ठी का संचालन किया अपने अनूठे अंदाज में महिमा श्रीवास्तव वर्मा ने तथा आभार  संतोष श्रीवास्तव ने व्यक्त किया।

प्रस्तुति 

संतोष श्रीवास्तव 

संस्थापक अध्यक्ष 

अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

Post a Comment

Previous Post Next Post