पंच दिवसीय रामचरित मानस सम्मेलन का मौनी बाबा ने दीप प्रज्जवलन कर शुभारंभ किया
वन्दे विशुद्धविज्ञानौ कवीश्वर कपीश्वरौ- डॉ. अशोक दास
चित्रकूट में माता अनुसूइया के प्रभाव से मंदाकिनी बही - डॉ. मदनमोहन मिश्र
सागर । कटरा भीतर बाजार सागर में पंच दिवसीय श्रीराम चरित मानस सम्मेलन श्री देव गौरीशंकर मंदिर के परिसर में भव्य कलश यात्रा के बाद संत मौनी बाबा के द्वारा दीप प्रज्जवलन एवं भगवान सीताराम जी की आरती करके किया गया । ग्यारह बटुकों के द्वारा सामूहिक स्वस्ति वाचन एवं मूल रामचरित मानस पाठ के द्वारा वेद मंत्रोच्चार पं. चन्द्रभान तिवारी एवं पंडित महेश दत्त त्रिपाठी के द्वारा किया गया । प्रथम वक्ता मानस मयंक बनारस से पधारे पूज्य संत डॉ. मदन मोहन मिश्र ने भगवान शंकर एवं सती की कथा का अद्भुत प्रसंग सुनाते हुए श्रीराम ने सीता की खोज से जुड़े प्रसंग सुनाते हुए कहा कि चित्रकूट में माता अनुसूइया के प्रभाव से मंदाकिनी धारा प्रभावित हुई । मानस मर्मज्ञ डॉ. मिश्र ने बाल्मीकि रामायण एवं तुलसीदास जी की रामचरित मानस के माध्यम से माता, पिता, गुरुजनों, संतों, ब्राह्मणों की सेवा, परोपकार, सुग्रीव जैसे मित्र, हनुमान जैसे सेवक बनने संस्कार शील बनने की प्रेरणा दी । उन्होंने सनातन धर्म की रक्षा करने का बाल, वृद्ध ,युवाओं, महिलाओं को आह्वान किया कि वे नजदीक के मंदिर में देवदर्शन हेतु अवश्य जायें। मुख्य यजमान सविता कमलेश सोनी ने संत महात्माओं का सम्मान किया । पंडित चन्द्रभान तिवारी प्राचार्य संस्कृत महाविद्यालय वृन्दावन बाग ने भी अपने प्रवचनों में भगवान श्रीराम की अहैतू की कृपा की कथा सुनाई । अखिल भारतीय साहित्य सृजनमंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य पंडित महेशदत्त त्रिपाठी ने श्री रामचरित मानस की महत्ता के दस दोहे ”कथा सुहावन राम की कविवर तुलसीदास, भर दी सबरी छन्द में जिनने मधुर मिठास” सुनाकर मंत्र मुग्ध किया । अयोध्या से पधारे संत श्रद्धेय डॉ. अशोकदास ने वन्दे विशुद्ध विज्ञानौ कवीश्वर कपीश्वरौ की गहन व्याख्या करते हुए वाल्मीकि एवं श्री हनुमान जी की उपमा वन्दना सुनाते हुए कहा कि वेद पुराणों को सुनना एवं उस पर चलना आवश्यक है । इस अवसर पर श्यामबाबू केशरवानी, मनोहर सोनी, दामोदर अग्निहोत्री, पं. श्रवण मिश्रा जी सहित अनेक भक्तजन उपस्थित थे ।