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काव्य : कफ़न - राम वल्लभ गुप्त 'इंदौरी'


 काव्य : पूर्णिकांश

    कफ़न

मरने पर मुस्लिम का ठिकाना कब्रिस्तान होता है ।

हिंदू मानता ,अंतिम ठिकाना शमशान होता है ।। 

हिंदू हो या मुसलमान कफन

यह नहीं मानता है।

तुम क्रिस्टियन या सिख हो 

कफ़न नहीं मानता है ।।

मरने के पश्चात तो इंसान 

इंसान ही होता है ।

शरीर पर पाप-पुण्य नहीं

बस कफन  होता है ।।

कफन ही ख़ुदा -भगवान 

का रूप होता है। 

कफन ही अंतिम समय में 

वही साथ-होता है।

कहे *राम इंदौरी* आत्मा 

ब्रह्म रूप होता है ।।

राम वल्लभ गुप्त 'इंदौरी'

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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