खोरठा साहित्यकार एवं गीतकार विनय तिवारी को मिला झारखंड प्रहरी सम्मान सम्मान
बोकारो - झारखंड सरकार से सम्मानित खोरठा के मशहूर साहित्यकार,लोककलाकार कवि,फ़िल्मलेखक निर्देशक एवं गीतकार विनय तिवारी को भूतपूर्व सरपंच सुरेश जायसवाल की पुण्यतिथि पर सामाजिक- सांस्कृतिक जागरूकता हेतु आयोजित प्रहरी मेला की रजत जयंती के उपलक्ष्य में झारखंडी कलाकारों- साहित्यकारों को समर्पित *झारखंड प्रहरी सम्मान* से सम्मानित किया गया। प्रहरी मेला की 25 वीं वर्षगांठ के अवसर पर यह सम्मान इनको जर्मनी केल यूनिवर्सिटी के रिसर्च स्कॉलर
डॉ नेत्रा . पी. पोडियाल के हाथों प्रदान किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से मुख्य अतिथि श्री मती नियोति कुमारी,( प्रखंख प्रमुख कसमार ) विशिष्ट अतिथि भजन लाल महतो ( थाना प्रभारी कसमार ) पूर्व विद्यायक गोमिया डॉ लंबोदर महतो। मशहूर पत्रकार एवं लेखक दीपक सवाल , प्रहरी मेला कंमिटी के संयोजक अशोक कुमार सिंह,पंकज कुमार जयसवाल, राजेश कुमार राय, व्यवस्थापक रामसेवक जयसवाल, अध्यक्ष घनश्याम महतो उपस्थित थे।
इस दौरान लगभग 300 साहित्यकारों व कलाकारों को सम्मानित किया गया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम (कलाकारों साहित्यकारों के महाकुंभ) को सफल बनाने के लिए राज्य के कोने-कोने से पहुंचे खोरठा, नागपुरी, संथाली, कुड़मालि, कुड़ुख़ समेत अन्य झारखंडी भाषाओं के साहित्यकारों, गीतकारों, लोकगायकों, कबियो, अभिनेताओं, अभिनेत्रियों, शिक्षाविदों, लोक चित्रकारों, लेखकों, भाषा आंदोलनकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, यू-ट्यूबर कलाकारों को भी कंमिटी द्वारा सम्मानित किया गया। यह सम्मान इनके खोरठा गीत,संगीत, सिनेमा एवं साहित्य के क्षेत्र में लगातार सराहनीय कार्य के लिए दिया गया। विनय तिवारी पिछले लगभग तीन दशकों से अपनी मायकोरवा भाषा खोरठा में हजारों गीत लिख कर खोरठा गीत संगीत को समृद्ध करने में अहम योगदान दिए है। विनय तिवारी झारखण्ड प्रदेश की लोकप्रिय जनभाषा खोरठा के आधुनिक गीत-संगीत-साहित्य-सिनेमा के अत्यंत ख्यातिलब्ध जन प्रिय व्यक्तित्व का नाम है। विनय तिवारी अपने गीतों से अपनी मातृभाषा खोरठा, जो झारखण्ड के सबसे बड़ी आबादी की सामान्य बोलचाल भाषा है, को नई ऊंचाई तक पहुँचाने का अद्वितीय कार्य किया है। उपेक्षित और अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत भाषा खोरठा में विनय जी अनगिनत जनप्रिय गीत रचना देकर खोरठा को गुमनामी से निकालकर एक पहचान दिलाई। आज अपने राज्य व देश ही नहीं अपितु विश्व पटल पर खोरठा की एक अलग छवि बनी है तो इसमें बड़ा योगदान गीतकार विनय तिवारी का है।विनय तिवारी लंबे समय से खोरठा गीत-संगीत-साहित्य एवं सिनेमा के संरक्षण-संवर्द्धन, विकास एवं प्रचार प्रसार में लगे है। विगत ढाई दशकों से खोरठा भाषा को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए निरंतर बहुविध संघर्षरत हैं और खोरठा भाषा आंदोलन में इनका योगदान अतुल्य है।
विनय अब तक हजारों गीत खोरठा एवं नागपुरी में लिख चुके हैं। जिन गीतों को झारखंड के तमाम प्रसिद्ध लोक गायक सहित बॉलीवुड के कुमार सानू, उदित नारायण, सपना अवस्थी, अनूप जलोटा सरीखे लब्धप्रतिष्ठित कलाकारों ने अपने स्वर दिये हैं, जो अत्यंत लोकप्रिय हैं।
विनय छोटी-बड़ी अनेक संस्थाओं के अतिरिक्त कई बार झारखंड सरकार से भी सम्मानित हो चुके हैं एवं राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भी सम्मानित किये गए हैं। विभिन्न स्तर के खोरठा सिलेबस में इनकी रचनाओं को पढ़ाया भी जाता है। इनके लिखे गीत एवं कविताओं पर शोध हो चुका है एवं अभी भी जारी है। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर इनकी वार्ता एवं गीत प्रसारित होते रहते है। विनय तिवारी झारखंड के पहला व्यक्ति है जो विलुप्त प्रायः भाषा बिरहोर एवं खोरठा के संरक्षण - संवर्द्धन के लिए भित्तिचित्र के माध्यम से प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं। भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय के संगीत नाटक एकेडमी की अध्यक्ष डॉ संध्या पुरेचा पहली बार ‘मिट टू आर्टिस्ट’ प्रोग्राम के तहत झारखंडी भाषा खोरठा के सुप्रसिद्ध लोककलाकार-गीतकार विनय तिवारी के घर ,रोवाम गाँव पहुँचकर साक्षात्कार कीं।