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हीरे-मोती - प्रदीप छाजेड़ ,( बोरावड़)


 हीरे-मोती

हमारे जीवन में कुछ अन्तर की गंभीरता से निकले वचन इस कदर  सबका मन छू लेते हैं कि वें हीरे-मोती से भी कीमती धन बन जाते हैं । जैसे - रिश्ते- नाते, धन दौलत तो हमारा साथ छोड़ सकते पर इज्जत सदा साथ में हमारे वफादारी निभाती हैं ।वह कभी सिर को शर्म से झुकने नही देती हैं । इसमे अलग ही तरह की खुशबू होती हैं जो जीवन बगिया को महकाये रखती हैं ।पैसा कमाना तो आसान हैं पर इज्जत कमाना आसान नहीं हैं । हमें जीवन को सद्गुणो से भरना पड़ता है । प्राण जाये पर वचन न जाये,रखुकुल  रीत पुरानी । प्राण भी गवाने पड़ सकते है ।हर

बड़ी से बड़ी मुसीबत में भी समता व साहस से इज्जत को बनाये रखने का जजबा रखना पड़ता है । सदभावना और निडरता के पानी मे इज्जत जिन्दा रह्ती है ।जिन्दगी मे परोपकार और भलाई   इज्जत को अमर बना देती है । इन्सान मर जाता है पर उसकी इज्जत सदा जिन्दा रह्ती है ।तभी तो कहा हैं कि व्यापार हो या आपसी व्यवहार उन्हीं लोगों से रखना चाहिए जिनके दिल में 

जान से ज्यादा जुबान का सरोकार हो । स्वयं के दोष देखे बिना जीवन में कल्याण नहीं होता है ।हमें दूसरों के दोष नहीं देखना चाहिए बल्कि स्वयं के दोष पर ध्यान देना चाहिए अपनी गलती कमी को स्वीकार किए बिना सफलता के शिखर पर पहुंच नहीं सकते हैं ।हमारी दृष्टिभाव में दोष है तो पहले उसे दूर करना होगा तभी सफलता मिल सकती है ।अतः जिस प्रकार सूई छेद करती है पर सूत अपने शरीर का अंश दे कर भी उस छेद को भर देता है, उसी प्रकार हमें भी दूसरों के छिद्रों (अवगुणों) को भर देने अर्थात् ख़त्म कर देने के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर देना चाहिए । क्योंकि अंतचक्षुओं के आधार से हम अंतर में आलोकित हो सकते हैं । अतः खुद का MINUS POINT जान लेना ही हमारी जिन्दगी का सबसे बड़ा PLUS POINT हैं ।

-- प्रदीप छाजेड़ ,( बोरावड़)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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