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काव्य : मोबाइल से अनहोनी - छगनलाल मुथा-सान्डेराव ,मुम्बई


काव्य : 
 मोबाइल से अनहोनी


आज खेल हो गया अजब,

सुनो कैसे हो गया गजब।

मेरा पोता खेल रहा था पकड़ा-पकड़ी,

घर के बाहर दोस्तों के साथ।

अचानक टकरा गया एक आंटी से तो,

मुड़ गया जरा सा आंटी का हाथ।

आंटी चिल्लाई जोर से,

सब बच्चे भागे वहाँ से,बीच में ही खेल छोड़ के।

वो रह गया अकेला अब, 

खड़ा हो गया आंटी को हाथ जोड़ के।

आंटी बोली बेटा सोरी,

भूल हो गई बड़ी मेरे से।

मैं तो थी मोबाइल में मशगूल,

टकरा गई मैं तेरे से।

अच्छा हुआ जो तेरे से टकराईं,

अगर और किसी से मैं जाती टकरा।

बिना किसी गलती से वो बिचारा,

बन जाता बली का बकरा।

आज से कर‌ लिया ये प्रण, 

नहीं चलते चलते मोबाइल देखना।

राह चलते मोबाइल देखते मुथा,

हो सकती है कोई दुर्घटना।

- कवि छगनलाल मुथा-सान्डेराव ,मुम्बई

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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