
संगीत नाटक अकादमी दिल्ली द्वारा मुस्कान संस्था इटारसी में कथा धरतीपुत्र आजाद की प्रस्तुति की गई
इटारसी। संगीत नाटक अकादमी दिल्ली द्वारा मुस्कान संस्था इटारसी में कर्मवीर जन शिक्षण एवं सांस्कृतिक समिति नर्मदा पुरम के द्वारा कथा धरतीपुत्र आजाद की प्रस्तुति की गई । जिसके लेखक कर्मवीर सिंह राजपूत ने इस पर अपने विचार रखें ।
साथ आज भोपाल से पधारे कर्मवीर थिएटर के कलाकार आर्टर्ऑफ़ रिवॉल्यूशन भोपाल के कलाकारों द्वारा *गिफ्ट ऑफ मैगी*
एवं *द लास्ट रिलीफ* की प्रस्तुति थी।
इस कार्यक्रम में सहयोग किया संगीत नाटक अकादमी दिल्ली द्वारा किया गया।
इस अवसर पर साहित्यकार कश्मीर सिंह उप्पल, कवि ब्रजकिशोर जी पटेल, साहित्यकार विनोद कुशवाहा जी ,मोहम्मद अफाक,दर्शन तिवारी,नीरज चौहान,डॉ नीरज प्रजापति, ऋतु राजपूत उपस्थित थे।
कार्यक्रम में आभार मनीष ठाकुर ने किया।
"द गिफ्ट ऑफ मैगी"* जिसका निर्देशन उद्देश्य अगरैया ने किया है।
दूसरा नाटक *"दी लास्ट लीफ"*
जिसका निर्देशन *उद्देश्य अगरैया* ने किया है।
पहले नाटक का सार
*द गिफ्ट ऑफ मैगी :–*
नाटक "द गिफ्ट ऑफ मैगी" क्रिसमस पर उपहार आदान प्रदान की कला को और अपने प्रिय के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
नाटक में डेला अपने पति जिम्मी के साथ एक किराए के कमरे में रहती है, जिमी केवल 20 डॉलर महीना ही कमाता था, इतने में डेला के लिए घर चलना काफी मुश्किल होता था,
डेला, जिसके पास केवल एक डॉलर और सतासी सेंट्स है और उतने ही रकम में वह अगले दिन क्रिसमस पर अपने पति जिम्मी को गिफ्ट देना चाहती है, ये रकम भी उसने बड़ी मुश्किल से बचाई थी पर वह जानती थी कि इतनी रकम में जिम्मी के लिए वह कुछ नहीं खरीद सकती,
अपने आप को आईने में निहार कर डेला अपने बाल खोल देती है, जो जिम्मी को काफी पसंद थे, और उसके मन में विचार आता है कि वो अपने बाल बेच कर जिम्मी के लिए उपहार ले सकती है।
मन मारकर वह अपने आधे से ज्यादा बाल बेच देती है, जिससे उसके पास अब इक्कीस डॉलर और सत्तासी सेंट्स थे, जिनको रखकर वह जिम्मी को क्या दूं सोचते हुए मार्केट की तरफ रुख करती है, तभी उसे ध्यान आता है कि जिम्मी के पास एक घड़ी है जिसमें बदसूरत सा चमड़े का स्ट्रैप लगा हुआ है, जिस वजह से जिम्मी अक्सर लोगों के सामने समय देखने में शर्मिंदगी महसूस करता है।
डेला जिम्मी की उसी घड़ी के लिए एक प्लेटिनियम की चेन खरीदती है, और घर आ जाती है, पर अब वह परेशान भी है कि जिम्मी इस तरह उसे देखेगा तो क्या कहेगा, पर उसे लगता है वह जिम्मी को मना लेगी, आखिर वह उसके लिए इतने प्यार से गिफ्ट जो लाई है,जिम्मी जब घर आता है तो उसके हाथ में एक गिफ्ट बांस है जो वह डेला के लिए बड़े प्यार से खरीद कर लाया है, जब वह डेला को कटे हुए बालों में देखता है तो परेशान हो जाता है, डेला उसे काफी समझती है कि बाल तो वापस आ जाएंगे और तुरंत ही वह जिम्मी को प्लेटिनियम की चेन दिखाती है और कहती है "जिम्मी आप तुम्हे किसी के भी सामने टाइम देखने ने शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा"
जिम्मी जो भौचक्का हो गया है अपने ओवरकोट से एक पैकेट निकाल कर रखता है और कहता है "डेला, बाल कटवाने या ऐसी कोई चीज नहीं जो मुझे तुम्हे चाहने से रोके पर अगर तुम इस पैकेट को खोलेगी तो मुझे पता चलेगा कि मैं इतना परेशान क्यों हो गया"
डेला जैसे ही पैकेट खोलती है, कांप उठती है, उसकी आंखों के सामने वह खूबसूरत कंघी और क्लिप्स थे जो डेला अक्सर शोकेजो में निहारा करती थीं पर खरीद नहीं पाई, और ये खूबसूरत तोहफा वह अपनी गाड़ी बेच कर लाया है जिसके लिए डेला ने चैन खरीदी थी।
नाटक में बताया गया है कि ईसा के जन्म पर तीन तांत्रिक इस के लिए उपहार लाए थे, इन्हें ही मागी कहा जाता है और तभी से क्रिसमस पर उपहार देने की परम्परा का प्रचलन हुआ।
मंच पर -
सूत्रधार - सानिया गुप्ता
जिम्मी - लोकेंद्र शर्मा
डेला - दुर्गा सिंह (रिया)
*दूसरे नाटक का सार*
*दी लास्ट लीफ* :–
ओ हेनरी द्वारा लिखित कहानी पर आधारती नाटक "दी लास्ट लीफ" जोन्सी और सु के जीवन पर केंद्रीय नाटक है, जो जिन्दगी में जीवित रहने की आशा को दर्शाता है,
सु और जॉन्सी कैलिफोर्निया के एक काफी शॉप पर मिलते हैं, चित्रकार होने की वजह से दोनों की कलरुचि में काफी समानता होने पर दोनों मिलकर एक चित्रकला स्टूडियो खोलते हैं और साथ में खुशी खुशी रहते हैं, अत्यधिक ठंड होने के कारण आस पास के इलाकों में निमोनिया फैलने लगता है जिसकी रफ्तार तेजी से बढ़ने लगती है, और इसी रफ्तार की चपेट में जॉन्सी आ जाती है,
डॉक्टर के मुताबिक़ जॉन्सी कुछ ही दिन जीवित रह सकती है, ये सुनकर सु को धक्का सा लग जाता है पर वो जॉन्सी को एहसास नहीं होने देती कि वह जॉन्सी की बीमारी को लेकर चिंतित है,
जॉन्सी अपने बिस्तर पर लेटे लेटे खिड़की के बाहर एक पेड़ को निहारा करती है, जिस पर कुछ ही पत्तियां बाक़ी हैं, और आखरी पत्ती गिर जाने पर जॉन्सी को लगता है कि वह भी इस दुनिया से चली जाएगी।
सु जॉन्सी की इस सोच से काफी परेशानी रहती है, वह चाहते हुए भी खिड़की बंद नहीं कर पाती क्योंकि उसे पेंटिंग बनाने के लिए सनलाइट की जरूरत पड़ती है।
सु को पेंटिंग बनाने के लिए एक मॉडल की आवश्यकता पड़ती है, और वह अपने फ्लोर के ठीक नीचे वाले फ्लोर से बेहरामन को बुला लेती है,
बेहरामन एक असफल चित्रकार है, जो कई सालों से एक मास्टरपीस बनाना चाहता है, उसके कमरे में कैनवास तो है पर खाली है, उस पर बेहरामन ने अपने मास्टरपीस की पहली रेखा तक नहीं खींची, वह लोगों की पेंटिंग का मॉडल बनकर ही थोड़ा बहुत कमा लिया करता है, बेहरामन खुदको सु और जॉन्सी का रखवाला समझता है।
जब उसे पता चलता है कि जॉन्सी ने एक पत्ती के गिरने से अपने जिंदगी की कड़ी जोड़ रखी है तो वह सु पर गुस्सा होता है कि "तुमने उसके दिमाग में इस बात को घुसने ही कैसे दिया"
कई रातें गुज़र जाने के बाद भी एक आखरी पत्ती जो पेड़ पर बची हुई है, नहीं गिरती, और अब जॉन्स अपने आप में अच्छा महसूस करने लगती है, उसकी जीने की आशा जाग उठती है..
डॉक्टर के चेकअप के दौरान पता चलता है कि अब जॉन्सी ठीक है, पर बेहरामन की निमोनिया के कारण मौत हो जाती है, जब सु बेहरामन के कमरे में जाकर देखती है तो वहां पीला पेंट और कुछ सामान मिलता है, जिसे देखकर सु जॉन्सी को उसके बारे में बताती है,
तब पता चलता है कि उस पेड़ पर जो आखरी पत्ती है वह ही बेहरामन का मास्टर पीस है, तेज़ तूफान, और बर्फीली हवाओं के बीच, बेहरामन ने उस आखरी पत्ती की जगह अपने द्वारा बनाई एक पत्ती लगाई है और वही उसका मास्टरपीस है...
*मंच पर -*
स्यू - सानिया गुप्ता
जॉन्सी - दुर्गा सिंह रिया
सूत्रधार/डॉक्टर - लोकेंद्र शर्मा
*मंच परे -*
प्रकाश परिकल्पना - रोशन विश्वकर्मा
मंच व्यवस्थापक - अंकित गैंगराडे
मंच सामग्री - दीपेश अगरैया
रूप सज्जा - आशीर्वाद झा, सानिया गुप्ता
द गिफ्ट ऑफ मैगी
निर्देशक - उद्देश्य अगरैया
दी लास्ट लीफ
निर्देशक - उद्देश्य अगरैया