वैदिक परंपरा में ही आधुनिक समाजिक समस्याओं का समाधान है
वाराणसी। भारत में परिवार व समाज प्रधानता, नैतिकता, रीति-रिवाज, परंपराओं व संबंधों को सर्वोपरि रखने की गौरवशाली वैदिक परंपरा रही है किंतु आधुनिक समय में लोगों में लगातार नैतिकता में गिरावट, रीति-रिवाज व परंपराओं के प्रति अनादर तथा संबंधों की पवित्रता व गरिमा को तार-तार करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है जिसमें निकट संबंधों (दादी-पोता, सास-दामाद, भाई-बहन...) में शादियाँ आम होती जा रही है। लड़कियों में अपने से दोगुने तीगुने उम्र के पुरुषों से शादी करने के प्रति रुझान बढ़ रहा हैं। लोगों का कानून के प्रति निष्ठा एवं भय कम होते जा रहा है उपयुक्त विषम स्थितियों को ध्यान में रखते हुए *परम्परा बनाम परिवर्तन: समाज पर प्रभाव* पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित इंटरनेशनल बॉयज हॉस्टल (फर्स्ट फ्लोर) के सभागार में 14 मई (दिन बुधवार) को नई सुबह मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यवहार विज्ञान संस्थान, वाराणसी द्वारा सामूहिक चर्चा का आयोजन किया गया है।
परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए चिकित्सा विज्ञान संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो एस एन शंखवार ने कहा कि समाज में संपन्नता बड़ी है किंतु इसी के साथ-साथ संस्कारों में कमी, चारित्रिक पतन, नशे की लत व अपराधिक प्रवृति लोगों में बड़ी है इसका बड़ा कारण भारतीय परंपराओं से दूर होना है। विशिष्ट अतिथि पूर्व जिला जज श्री राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि समाज को पुराने मूल्यों एवं आधुनिक प्रचलनों के बीच संतुलन बनाकर ही आगे बढ़ना होगा। एडीसीपी ममता रानी चौधरी ने इस अवसर पर कहा कि संस्कारों की कमी के कारण लोगों में नैतिकता की कमी हो रही है जिससे अपराधी व्यवहारों में बढ़ोतरी हो रही है युवा ही इसमें परिवर्तन ला सकते हैं। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के सेनानायक श्री बालापुरकर जी ने कहा कि परिवार में बिखराव तथा माता-पिता द्वारा बच्चों को गुणवत्तापूर्ण समय न प्रदान किया जाना लोगों में सामाजिकता की भावना में कमी ला रही हैं जिससे समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं हमें पुनः संयुक्त परिवार की ओर लौटना होगा।
श्री राधा कृष्ण मिश्रा अधीक्षक केंद्रीय कारागार शिवपुर, वाराणसी में इस अवसर पर कहा कि सभी आधुनिक समस्याओं का समाधान वैदिक व्यवस्था में निहित है संस्कारों के माध्यम से नैतिक पतन को रोका जा सकता है। प्रो. जे एस त्रिपाठी मानस रोग विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने कहा की शादी एक बहु आयामी व्यवस्था है जिसमें केवल वर बधू की शादी नहीं होती बल्कि परिवार एवं समाज के बीच बंधन होता है और संबंधों में गुणवत्तापूर्ण संप्रेषण होना अति आवश्यक है।
नई सुबह संस्था के संस्थापक अध्यक्ष डॉ अजय तिवारी ने परिचर्चा के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि सामाजिक व्यवस्था एवं संबंधों में हो रही गिरावट को समय रहते यदि उचित व्यवस्थापन नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
परिचर्चा को मुख्य रूप से प्रो. पी.के मिश्रा आईआईटी बीएचयू, प्रो. मिथलेश सिंह अग्रसेन पीजी कॉलेज, प्रो शेफाली ठकराल महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, प्रो. जय सिंह यादव मानसिक रोग विभाग, बीएचयू, प्रो. आर बटाला बीएचयू, डॉ मनोज कुमार तिवारी मनोवैज्ञानिक बीएचयू, नीतू सिंह अधिवक्ता, श्रीमती पूनम गुप्ता सीएसओ वाराणसी, डॉ अरविंद सिंह मानसिक चिकित्सालय वाराणसी, डॉ अमरजीत सिंह ने रूप से संबोधित किया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ अमित तिवारी, आजाद तिवारी, राजीव सिंहा, अर्पित मिश्रा ने मुख्य भूमिका अदा किया। कार्यक्रम का संचालन पलक द्विवेदी व ईश तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ अजय तिवारी ने किया।