आत्मबोध से विश्वबोध तक : अखिल भारतीय साहित्य परिषद लखनऊ महानगर एवं पूर्वी इकाई के द्वारा वैचारिक चिन्तन संगोष्ठी का आयोजन
'स्व' से 'समष्टि' की ओर, 'अहं' से 'वयं' की ओर, और 'व्यक्तिगत चेतना' से 'सर्वव्यापक चेतना' की ओर
लखनऊ । अखिल भारतीय साहित्य परिषद, महानगर लखनऊ एवं उसकी लखनऊ पूर्व इकाई द्वारा संयुक्त रूप से एक वैचारिक चिन्तन संगोष्ठी का साहित्यिक आयोजन विभूति खण्ड में आर्यावर्ती सरोज के आवास पर किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय साहित्य परिषद के महानगर लखनऊ के अध्यक्ष निर्भय नारायण गुप्त द्वारा की गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गोपाल नारायण श्रीवास्तव व विशिष्ट अतिथि द्वय सन्तोष तिवारी कौशिल व डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव 'प्रेम' रहे। कार्यक्रम का सुन्दर संचालन लखनऊ महानगर की महामंत्री डॉ ममता पंकज द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का आरम्भ अलका अस्थाना के द्वारा सरस्वती वन्दना की प्रस्तुति के साथ हुआ। इसके बाद लखनऊ महानगर के अध्यक्ष निर्भय नारायण गुप्त द्वारा परिषद गीत का सस्वर गायन किया गया।
वैचारिक चिन्तन संगोष्ठी का प्रारम्भ प्रख्यात साहित्यकार महेन्द्र भीष्म के सम्बोधन से हुआ और इसके पश्चात् विचार श्रंखला में पायल लक्ष्मी सोनी, शैलेंद्र प्रताप अवस्थी, आशीष पाण्डेय, मानस मुकुल त्रिपाठी, अलका अस्थाना 'अमृतमयी', मृगांक श्रीवास्तव, माधुरी महाकाश, ज्योति किरन रतन, आर्यावर्ती सरोज 'आर्या', डॉ ममता पंकज द्वारा क्रमशः वैचारिक उद् बोधन दिये गये। इसके बाद मंचासीन विशिष्ट अतिथि द्वय सन्तोष तिवारी कौशिल, प्रवीण कुमार श्रीवास्तव 'प्रेम' व मुख्य अतिथि गोपाल नारायण श्रीवास्तव व अध्यक्ष निर्भय नारायण गुप्त द्वारा विषय पर विशेष व विस्तृत प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम में ज्योत्सना त्रिपाठी, दिनेश सिंह, हरि नाथ सिंह, संजीव श्रीवास्तव व शिवप्रताप मिश्रा की विशेष उपस्थिति रही। अन्त में आर्यावर्ती सरोज आर्या के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।