काव्य :
जिन्दगी न मिलेगी दुबारा
रिश्ते,और दोस्त बड़े धन हैं,
ये हैं, तो रहता प्रसन्न मन है,
घर ,ज्यादा पैसा,और सांसारिक सुविधाएं बड़ी भ्रान्ति है
मनुष्य हैं हम,रिश्तों और दोस्तों में ही मिलती सुख शान्ति है
जिन्दगी गुजार देते हैं हम
संपत्ति और पैसा कमाने में
भोग नहीं पाते हम इन्हें
समय नहीं लगता,प्राण उड़ जाने में
कमाना है, तो अच्छा नाम कमाओ
अच्छे कुछ काम, कर के जाओ
दर्ज कर जाओ जिंदगी के पन्नो पर व्यक्तित्व अपना
*ब्रज*,रुको,ठहरो, लोगों के दिलों में और फिर गुजर जाओ
ये जिन्दगी मिलेगी न दुबारा
- डॉ ब्रजभूषण मिश्र , भोपाल
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