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रचनात्मक मासिक गोष्ठी का आयोजन हुआ



रचनात्मक मासिक गोष्ठी का आयोजन हुआ

मुज़फ्फ़रनगर । 'हिन्दी उर्दु संस्था समर्पण, मुजफ्फरनगर द्वारा  एक रचनात्मक मासिक गोष्ठी का आयोजन  मुज़फ्फ़रनगर तहसील परिसर में समर्पण अध्यक्ष ईश्वर दयाल गुप्ता गीतकार के सौजन्य से सम्पन्न हुआ। जिसमें तीन पुस्तकों का लोकार्पण हुआ! शमीम किरतपुरी की पुस्तक ,महक, प्रकाश सूना की पुस्तक दस्तक की आस , सुनीता सोलंकी की पुस्तक ज़िक्र,का विमोचन किया गयी।

 गोष्ठी का शुभारंभ समीर कुलश्रेष्ठ की सरस्वती वंदना और हाजी सलामत राही द्वारा *नात-ए-पाक*से हुआ। विभिन्न कवियों शायरों व कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से वीर रस , श्रृंगार रस , हास्य रस,और बेहतरीन ग़जलें पेश कीं।

"आरज़ू थी शादमानी के नज़ारे आएंगे,

चंद लम्हों में भयानक हादसा देखा गया"-अब्दुल हक़ सहर,

शमीम किरतपुरी ने, प्यार का संदेश दिया "नक़श उल्फत का हर इक दिल पे उभारा जाय"

ईश्वर दयाल गुप्ता -ने दुश्मनो को ललकारा "

"चुन चुन के मारेंगे,घर में घुसकर मारेंगे"

अगर तुम प्यार बाँटोगे जमाना याद रखेगा 


प्रकाश सूना-

परिंदों से कहता हूं उठो उड़ जाओ पिंजरों से ।

ये दीगर बात है पहले वो उनके पर कतरता है। 


संतोष फलक-

"हर शय  खरीद सकते हो बाजार से लेकिन ।

उर्दू जुबाँ की चाशनी लाओगे कहां से? "


प्रीतम सिंह शामली-

"गद्दारी की गंध चढ़ी है, हिन्दुस्तानी लाठी पर।

वर्ना दो चार क्यों चढ़ आते हम सौ सौ की छाती पर।।"


*योगेन्द्र सोम -

बातों के पैमाने हैं ।

बातों के दीवाने हैं ।।

बातों से चलती है ।

दुनिया बातों के मयखाने हैं 


*अनिल धीमान पोपट (हास्यकवि)- 

नजर मिलते ही वो घुस गई दिल मे मेरे 

हार्ट फेल ना कर दे अब मै सदमे मे हूँ


समीर कुलश्रेष्ठ-

"मैं लोकतंत्र का वट वृक्ष घाना देने आया था सबको छाया ।।शाख  सहारा थी जन-जन की तुमने उसी पर कुठार चलाया।"


शकील अहमद-

"बरसी है आज जम के घटा  में नशे में हूं ।

बिजली ने मुस्कुरा के कहा मैं नशे में हूं।। 

माज़ी की बात छोड़िए जब होश था मुझे ।

ऐसी चली है अब के हवा में नशे में हूं।। 


मुम्बई से पधारे नाहीद समर काविश ने कहा-


छत पर दिखाई देगा कि दीवार की तरफ़ ,

आंखें लगी हैं कूचाऐ दिल दार की तरफ 


*हाजी सलामत राही*

"दुश्मन से जीतकर भी नहीं मिलती वो खुशी"


डाॅ आस मुहम्मद अमीन-

'अमीन' अब आस मत उनसे लगाओ 

जो इंसा हो के पत्थर बन चुके हैं।।


जुगाड़- 

"सजा अपने किए की पा रहा हूँ

मैं बर्तन धोके ऑफिस जा रहा हूँ।।


सुनीता सोलंकी- "सभी का एक खुदा है,समझता क्यूँ नहीं मैं"

और सभा गार में उपस्थित शकील अहमद एडवोकेट,वकील... , मास्टर शहजाद राणा, खुर्शीद अहमद साहब, अफजल बादल, जुनैद अजहर ,शाहपुर से अली रज़ा,आदि की गौरवमयी उपस्थित से गोष्ठी की भव्यता में चार चांद लगाए।

गोष्ठी के अंत में अध्यक्ष द्वारा सभी के उत्कृष्ट सृजन व काव्य पाठ ग़ज़लगोई के बधाई और शुभकामनाएं देकर गोष्ठी में आने की निरन्तरता बनाए रखने का आग्रह किया।

हिन्दी उर्दू समर्पण साहित्यिक संस्था,मुजफ्फरनगर उप्र से हमेशा इस साहित्यिक आयोजन के माध्यम से हिन्दी उर्दू साहित्य के लिए कार्य करती रहेगी ,, ताकि सभी में लेखन के प्रति संचेतना और प्रोत्साहन बना रहे!

हिन्दी उर्दू समर्पण संस्था  सचिव - सुनीता मलिक सोलंकीमुजफ्फरनगर उप्र

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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