परकाया प्रवेश जैसा है बाल साहित्य का लेखन- डॉ. द्विवेदी
बाल मन के कुशल चितेरे रहे अहद प्रकाश- डॉ. बलवटे
बाल सुलभ मन के धनी अहद जी- कान्ता रॉय
भोपाल। शहर के सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार एवं बाल साहित्यकार अहद प्रकाश की स्मृति में मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा रविवार को हिन्दी भवन में आयोजित 'अनहद अहद' में सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार डॉ. मालती बसन्त को 'अहद प्रकाश बाल साहित्य गौरव सम्मान 2025' व ख्यात ग़ज़लकार डॉ. अम्बर आबिद को 'अहद प्रकाश ग़ज़ल गौरव सम्मान 2025' से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लघुकथा शोध केन्द्र की निदेशक कान्ता रॉय, व सारस्वत अतिथि आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी रहे। अध्यक्षता निराला सृजन पीठ की निदेशक डॉ. साधना बलवटे ने की व विशिष्ट आतिथ्य फ़रज़ाना अहद का रहा।
कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' ने देते हुए संस्थान के कार्यों और संरक्षक अहद प्रकाश जी के जीवन पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि कान्ता रॉय ने कहा कि 'अहद जी का बाल सुलभ मन सदैव सभी को जोड़ लेता रहा, आज उनकी स्मृतियों को ताज़ा करने का मौका मिला, जो निःसंदेह गरिमामय है।'
सारस्वत अतिथि भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रोफ़ेसर संजय द्विवेदी ने कहा कि 'बाल साहित्य का लेखन परकाया प्रवेश जैसा है। संवेदना, वात्सल्य और मासूमियत से ही बच्चों को संबोधित किया जा सकता है, अहद जी एक ऐसे ही रचनाकार थे। वो बहुत बेहतर इंसान थे और इसलिए वे बच्चों के लिए इतना प्रभावी लेखन कर पाए।'
अध्यक्षता कर रही डॉ. साधना बलवटे ने संबोधित करते हुए कहा कि 'बाल मन के कुशल चितेरे रहे अहद जी का जुड़ाव हर उम्र के लोगों के साथ सहज रहता था। बात मातृभाषा की है तो हमें अपनी मातृभाषा के प्रति जागरुक और सजग रहना चाहिए।'
इस मौके पर सम्मानमूर्ति डॉ. मालती बसंत ने अहद जी की कविता का पाठ कर सम्मान हेतु आभार व्यक्त किया। साथ ही, सम्मानमूर्ति डॉ. अम्बर आबिद ने अहद जी के जीवन से जुड़े कई प्रसंगों को साझा किया।
कार्यक्रम संचालन डॉ. मौसमी परिहार ने किया व आभार फ़रहा अहद ने माना।
आयोजन में ऋषिष शृंगारी, डॉ. मीनू पाण्डेय नयन, राही जी, मृदुल त्यागी, सरवर खान आदि लोग शामिल हुए।