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स्त्री का हिंसात्मक रवैया चिंताजनक है : वामा साहित्य मंच


स्त्री का हिंसात्मक रवैया चिंताजनक है : वामा साहित्य मंच

-राजा रघुवंशी हत्याकांड पर वामा साहित्य मंच की ऑनलाइन गोष्ठी 

-देश-विदेश से प्रतिभागियों ने अपनी बात रखी 

इंदौर। स्त्रियां सदैव कोमल भावों से भरी होती है परन्तु, वर्तमान में उनमें हिंसक प्रवृत्तियां बढ़ रही है। मेरठ की ड्रम वाली घटना के बाद, अभी-अभी जघन्य राजा हत्याकांड से स्त्री हिंसा का बर्बर रूप सबके सामने आया है जो चिंता से अधिक चिंतन का विषय है। 

इसी चिंतन पर वामा साहित्य मंच, शब्द शक्ति संवाहक द्वारा स्त्री के हिंसक होते रूप कारण और समाधान विषय पर तरंग गोष्ठी आयोजित की गई। सरस्वती वंदना ऑडियो माध्यम से पुणे की स्वाति जोशी ने प्रस्तुत की। स्वागत उद्धबोधन अध्यक्ष ज्योति जैन ने दिया और नारी के विद्रुप रूप पर चर्चा करते हुए कहा कि संस्कार, संवेदना और संवाद की कमी से ऐसी घटनाएं बढ़ रही है। 

प्रतिभागियों ने स्त्री के विद्रुप और विकृत रूप समाज के सामने आने के कारण बताए और समाधान के रूप में उपाय भी सुझाए। 

इस चिंतन गोष्ठी में देश-विदेश से वामा साहित्य मंच से जुड़ी लेखिकाएं स्नेहलता श्रीवास्तव-बैंगलोर ने ऐसे विषय पर मौन रहना और अनदेखा करना समाज के लिए गलत है। नवपीढ़ी को सहनशील, समझ, संतुलन की आवश्यकता है। विश्वास तंत्र के साथ न्याय तंत्र को पुरुष वर्ग के लिए सशक्त करना जरूरी है।

अंजू निगम-लखनऊ वर्तमान परिस्थितियों पर मार्मिक लघुकथा सुनाई।

बकुला पारेख-मुंबई ने मनोविकार पर चिंता जताई और प्रेम प्रसंगों को जाहिर सूचना के माध्यम से उजागर करने को सही कदम बताया।

चंद्रकला जैन-चंडीगढ़ ने अच्छे संस्कारों की ओर बाल्यावस्था से ही बढ़ाने की बात कही। 

रंजना जोशी-खंडवा ने कविता के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त की।

ऋतु सक्सेना-भोपाल ने मनोविकार एंटीसोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर को इसका कारण बताते हुए कहा कि इसमें व्यक्ति अपनी गलती नहीं मानता, उसमें पछतावे की भावना नहीं रहती। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो तो गुड पेरेंटिंग, विद्रोह को समझना और प्री मैरिज काउंसलिंग जरूरी है।

सारिका सिंघानिया-रायपुर ने कहा अभद्र भाषा, हिंसात्मक रवैया, अंधे स्वार्थ पर अंकुश लगने से स्वतः ही ऐसी प्रवृत्तियों पर अंकुश लगने लगेगा।

सोनल शर्मा-सिंगापुर ने संस्कृति, संस्कार से जुड़ने के साथ पालकों को बच्चों की बातें धैर्यपूर्वक सुनने और समझने की बात कही। 

रेखा भाटिया-अमेरिका ने स्वतंत्रता व स्वच्छंदता के अंतर को बताते हुए कहा स्वतंत्रता वही सही है जिसमें अनुशासन हो। माधुरी निगम-अमेरिका ने अच्छे संस्कार देने की आवश्यकता के साथ बताया कि ऐसी घटनाओं का प्रचार भी लोगो में अपराधी प्रवृत्ति को बढ़ा रहा है। 

कल्पना दुबे-खण्डवा ने जीवन दर्शन को समझाया कि बदला लेने की जगह क्षमा करने की प्रवृत्ति का विस्तार संस्कारों द्वारा किया जाना चाहिए।

प्रभा मेहता-नागपुर ने ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्त्री को मर्यादाएं बचपन से सिखाने पर जोर दिया और कहा कि स्त्री ही सृजनकर्ता है उस पर ही घर, परिवार, समाज और राष्ट्र की नैतिक जिम्मेदारी है।

वामा साहित्य मंच से संस्थापक अध्यक्ष पद्मा राजेंद्र, उपाध्यक्ष द्वय वैजयंति दाते, डाॅ. शोभा प्रजापति, सचिव स्मृति आदित्य, सह सचिव डाॅ.अंजना मिश्रा, प्रचार प्रभारी सपना साहू, अमर कौर चढ्ढा, किसलय पंचोली, इंदू पाराशर, संगीता परमार, वाणी जोशी शामिल रही।

गोष्ठी में सुव्यवस्थित संचालन जयपुर की आरती चित्तोड़ा ने किया। सफल तकनीकी सहयोग रुपाली पाटनी-सूरत ने दिया और आभार सोनू यशराज-जयपुर ने व्यक्त किया।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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