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स्पेसएक्स से व्हाइट हाउस तक: मस्क-ट्रंप महासमर - प्रो. आरके जैन “अरिजीत”, बड़वानी


 स्पेसएक्स से व्हाइट हाउस तक: मस्क-ट्रंप महासमर

टेक टाइकून बनाम पॉलिटिकल पॉवरहाउस: कौन किसे मात देगा?

   एक ऐसी जंग शुरू हो चुकी है, जो न केवल दो दिग्गजों—एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रंप—के बीच का टकराव है, बल्कि यह सत्ता, पूंजी और तकनीक का वह महासमर है, जो दुनिया को नई दिशा दे सकता है। यह दो तूफानों का मिलन है—एक ओर मस्क, जिन्होंने टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनियों से भविष्य को फिर से परिभाषित किया, और दूसरी ओर ट्रंप, जिनका राजनीतिक प्रभाव वैश्विक समीकरणों को हिलाने की ताकत रखता है। इनके बीच की यह लड़ाई अब केवल शब्दों की जंग नहीं रही; यह टेस्ला के शेयरों की गिरावट, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान और वैश्विक सत्ता के गलियारों तक को हिला रही है। दोनों के पास दुनिया के सबसे बड़े मंच हैं, और अब ये मंच एक-दूसरे के खिलाफ खतरनाक हथियार बन चुके हैं। यह टकराव एक ऐतिहासिक मोड़ है, जो भविष्य की दुनिया को आकार दे सकता है।

इस जंग की शुरुआत तब हुई, जब डोनाल्ड ट्रंप ने मस्क की कंपनियों, खासकर स्पेसएक्स, को मिलने वाली अरबों डॉलर की सरकारी सब्सिडी और अनुबंधों को खत्म करने की धमकी दी। ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट पर लिखा - बजट बचाने का सबसे आसान तरीका मस्क की सब्सिडी और कॉन्ट्रैक्ट्स को रद्द करना है। रॉयटर्स की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, स्पेसएक्स नासा के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) तक अंतरिक्ष यात्रियों और सामग्री पहुंचाने का महत्वपूर्ण साधन है। ट्रंप की यह धमकी मस्क के कारोबारी साम्राज्य की रीढ़ तोड़ने की कोशिश हो सकती है। इसका असर तुरंत दिखा—ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को टेस्ला के शेयर 14% तक गिर गए, जिससे निवेशकों में खलबली मच गई। यह गिरावट इस बात का संकेत है कि मस्क की कंपनियां इस जंग में कितनी जोखिम में हैं।

एलन मस्क, जिन्हें दुनिया एक दूरदर्शी नवप्रवर्तक के रूप में जानती है, ने ट्रंप की इस चुनौती को चुपचाप स्वीकार नहीं किया। उन्होंने जवाबी हमला बोलते हुए ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की मांग की और अपने ड्रैगन अंतरिक्ष यान के कार्यों को तेज करने की बात कही। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह यान अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए अपरिहार्य है। मस्क का यह कदम ट्रंप को यह स्पष्ट संदेश देता है कि वे किसी भी कीमत पर झुकने वाले नहीं। इसके अलावा, मस्क ने बिना सबूत के ट्रंप का नाम यौन अपराधी जेफ्री एपस्टीन से जोड़ने का दावा किया। रॉयटर्स ने इस दावे को अपुष्ट बताया, लेकिन यह मस्क की रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसका मकसद ट्रंप की छवि को नुकसान पहुंचाना है। हालांकि, ऐसे दावे मस्क की विश्वसनीयता को भी जोखिम में डाल सकते हैं।

इस टकराव के परिणाम मस्क और ट्रंप तक सीमित नहीं हैं। मस्क के पास असीमित संसाधन हैं, जिनका उपयोग वे राजनीतिक प्रभाव डालने के लिए कर सकते हैं। ब्लूमबर्ग के अनुसार, मस्क ने दावा किया कि वे “सचमुच एक बड़ा बम गिरा रहे हैं,” जिससे संकेत मिलता है कि वे अगले अमेरिकी मध्यावधि चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी के विद्रोही उम्मीदवारों को फंडिंग दे सकते हैं। यह कदम ट्रंप की राजनीतिक स्थिति को कमजोर कर सकता है। दूसरी ओर, ट्रंप के पास सरकारी मशीनरी का नियंत्रण है, जिसका उपयोग वे मस्क की कंपनियों को निशाना बनाने के लिए कर सकते हैं। यदि ट्रंप अपनी धमकी को अमल में लाते हैं, तो स्पेसएक्स के अनुबंधों पर असर पड़ सकता है, जिसका प्रभाव अमेरिका के अंतरिक्ष कार्यक्रम और वैश्विक अंतरिक्ष सहयोग पर होगा।

आर्थिक प्रभाव पहले ही सामने आ चुका है। टेस्ला के शेयरों की गिरावट से निवेशकों का भरोसा डगमगा रहा है, जैसा कि रॉयटर्स ने उल्लेख किया। स्पेसएक्स के अनुबंधों पर खतरा वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और अंतरिक्ष अनुसंधान को प्रभावित कर सकता है। बीबीसी के अनुसार, यदि मस्क अपने ड्रैगन यान के कार्यों को बंद करते हैं, तो नासा को वैकल्पिक व्यवस्था ढूंढनी पड़ेगी, जो एक जटिल और महंगा कदम होगा। इसके अलावा, यह जंग तकनीक और सत्ता के बीच संबंधों को उजागर करती है। मस्क की कंपनियां निजी क्षेत्र की ताकत का प्रतीक हैं, जबकि ट्रंप सरकारी शक्ति का चेहरा हैं। यह टकराव यह सवाल उठाता है कि क्या निजी कंपनियां सरकारों को चुनौती देने की ताकत रख सकती हैं?

यह जंग अब केवल दो व्यक्तियों की लड़ाई नहीं, बल्कि एक वैश्विक रण है, जो तकनीक, पूंजी और सत्ता के भविष्य को परिभाषित करेगा। दुनिया की नजरें इस पर टिकी हैं कि यह टकराव कहां तक जाएगा। क्या मस्क अपने संसाधनों के दम पर ट्रंप को पछाड़ देंगे, या ट्रंप की सरकारी मशीनरी मस्क के साम्राज्य को झुका देगी? यह युद्ध न केवल इन दो दिग्गजों की साख का सवाल है, बल्कि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था, तकनीकी नवाचार और राजनीतिक समीकरणों को नया आकार दे रहा है। यह एक ऐसी आंधी है, जो दुनिया को यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि सत्ता और पूंजी का यह महासंग्राम हमें किस भविष्य की ओर ले जाएगा। यह टकराव एक नई कहानी लिख रहा है—एक ऐसी कहानी, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बनेगी।

 - प्रो. आरके जैन “अरिजीत”, बड़वानी (मप्र)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा युवा प्रवर्तक के प्रधान सम्पादक है। साथ ही साहित्यिक पत्रिका मानसरोवर एवं स्वर्ण विहार के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है। Click to More Detail About Editor Devendra soni

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